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नई दिल्ली: देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर में जुलाई-सितंबर की अवधि में गिरावट दर्ज की गई है, जोकि 7.1 फीसदी रही, जबकि इसकी पिछली तिमाही में यह 8.2 फीसदी पर थी। इस गिरावट का मुख्य कारण डॉलर के खिलाफ रुपये के मूल्य में आई गिरावट और ग्रामीण मांग में कमी आना है। वित्तवर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में हल्की गिरावट के बावजूद जीडीपी की वृद्धि दर पिछले वित्तवर्ष की समान तिमाही की तुलना में अधिक रही है। वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कायार्लय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सकल मूल्य व्द्धिधत (जीवीए) दर जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 6.9 फीसदी रही है, जोकि पिछली तिमाही की 8 फीसदी की तुलना में कम है। वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीवीए की दर 6.1 फीसदी रही थी। वहीं आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर अक्तूबर माह में घटकर 4.8 प्रतिशत रह गई। पिछले साल इसी अवधि में यह पांच प्रतिशत थी।
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नई दिल्ली: जीडीपी आंकड़ों को लेकर छिड़े विवाद पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस पार्टी विरोधाभासी बातें कर रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि जब नए मापदंडों पर जीडीपी डेटा के नए सीरीज की शुरुआत हुई तो यूपीए सरकार के आखिर दो वर्ष भी दायरे में आए थे। उन्होंने इसे लेकर एक प्रेस कांफ्रेंस भी की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जीडीपी के नए आंकड़े पहले की तुलना में ज्यादा सही हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कल सीएसओ में अपने न्यू जीडीपी सीरीज के बेसिस पर 2004-05 से लेकर 2011-12 तक अपने रिविजन सार्वजनिक किए हैं। फरवरी 2015 में उन्होंने अपना न्यू फॉरमूलेशन किया था, इसपर न्यू जीडीपी सीरीज बनाई गई थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नए सीरीज में जो चीजें शामिल की गई उसका विस्तार किया गया और विश्व में जो सबसे अच्छे मापदंड हैं उसके मुताबिक इसको किया गया। तब से लेकर आजतक न्यू जीडीपी सीरीज ही लागू किया गया।
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नई दिल्ली: यूपीए सरकार के समय के जीडीपी आंकड़ों को बदलकर दोबारा से जारी करने पर नया सियासी विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने पीएम और जेटली पर अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति को छुपाने के लिए 'चालाकी' करने का आरोप लगाया है। नए आंकड़े जारी करके बताया गया है कि साल 2014 से 2018 के बीच एनडीए के पहले चार साल में विकास की रफ्तार यूपीए के दौर से ज्यादा रही है।
बता दें, नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव ने बुधवार को जीडीपी का संशोधित आंकड़ा जारी किया। कांग्रेस ने इस कदम को भाजपा सरकार का 'बुरा मजाक' करार दिया है। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक के बाद एक कई सारे ट्वीट करके पीएम मोदी सरकार और नीति आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया, 'नीति आयोग के संशोधित जीडीपी आंकड़े एक मजाक हैं। वे एक बुरा मजाक हैं। असल में वे एक बुरे मजाक से भी बदतर हैं। यह चालाकी के तहत किया गया है। अब समय आ गया है कि बेकार संस्था नीति आयोग को बंद कर दिया जाए।'
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नई दिल्ली: सरकार ने बुधवार को पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दस साल के कार्यकाल के अधिकांश वर्षों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया है। इससे संप्रग सरकार के कार्यकाल के उस एकमात्र वर्ष के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत से अधिक कमी आई है जब देश ने द्विअंकीय वृद्धि दर्ज की थी। इसके अलावा 9 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर वाले तीन वर्षों के आंकड़ों में भी एक प्रतिशत की कमी आई है। सरकार ने आंकड़ों को 2004- 05 के आधार वर्ष के बजाय 2011- 12 के आधार वर्ष के हिसाब से संशोधित किया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था की अधिक वास्तविक तस्वीर सामने आ सके।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी ताजा समायोजित आंकड़ों के अनुसार 2010-11 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही थी। जबकि इसके पहले 10.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। इसी तरह 2005-06 और 2006-07 के 9.3- 9.3 प्रतिशत के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटाकर क्रमश: 7.9 और 8.1 प्रतिशत किया गया है। इसी तरह 2007-08 के 9.8 प्रतिशत के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 7.7 प्रतिशत किया गया है। संशोधित वृद्धि दर के आंकड़े 2019 के आम चुनाव से पहले जारी किए गए हैं।
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