नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार के बीच नीतिगत मामले को कई हफ्तों से जारी तल्खी दूर होने के संकेत मिल रहे हैं। सूत्रों की मानें 9 नवंबर को आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसमें गतिरोध दूर करने के फार्मूले पर चर्चा हुई। सूत्रों ने बताया कि उर्जित पटेल गत शुक्रवार को नई दिल्ली में थे और उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की मौजूदगी में हुई बैठक के बाद अब आरबीआई छोटे और मझोले उद्योगों के लिए ऋण की विशेष व्यवस्था करने पर सहमत हो सकता है। लेकिन क्या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)को पूंजी मुहैया कराने पर स्थिति स्पष्ट नहीं है। आरबीआई के रिजर्व कोष को कम करने पर भी सहमति नहीं बनी।
इस फार्मूले से बन सकती बात
सूत्रों की मानें तो गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों में एक फार्मूले पर सहमति है। इसके मुताबिक आरबीआई त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढ़ांचे से कुछ बैंकों को बाहर कर सकता है। ताकि वे अधिक कर्ज वितरित कर सकें।
बता दें कि आरबीआई ने फिलहाल 11 सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को पीसीए ढांचे में रखा है। पीसीए ढांचे में आने वाले बैंकों पर ऋण वितरित करने पर बंदिशे होती हें। वहीं आरबीआई बैंकों के विलय के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा सकता है।
सरकार का भी रुख नरम
सूत्रों के मुताबिक सरकार आरबीआई के आरक्षित कोष में जमा 9.59 लाख करोड़ रुपये में से 3.6 लाख रुपये जारी करने के प्रस्ताव से पीछे हट सकती है। हालांकि, वित्तमंत्रालय में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आरबीआई की आरक्षित पूंजी से यह राशि लेने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
बोर्ड की बैठक से पहले अहम चर्चा
आरबीआई के बोर्ड की अहम बैठक 19 नवंबर को होने वाली है। इस बैठक से पहले केंद्रीय बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की पीएमओ के साथ हुई बैठक को अति महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि बोर्ड में सरकार की ओर से नामित निदेशक और कुछ स्वतंत्र निदेशक आरबीआई के पूंजीगत ढांचे के अनुरूप अंतरिम लाभांश जारी करने का मुद्दा उठा सकते हैं।
विराल के बयान से मचा था बवाल
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विराल आचार्य ने पिछने महीने आरबीआई की स्वतंत्रता पर बोलते हुए कहा कि इससे कोई भी समझौता विध्वंसकारी होगा। इसके बाद वित्त मंत्रालय ने अप्रत्याशित रूप से आरबीआई कानून की धारा सात के तहत बैंक के गवर्नर को निर्देश जारी किया था। इस धारा का पहली बार इस्तेमाल किया गया था।