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नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बैंकों की आलोचना करते हुए कहा कि वे दो लाख करोड़ रुपये की अवसंरचना परियोजनाओं (इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट) को वित्त पोषण नहीं कर रहे हैं, जबकि यह उनके लिए 'सुनहरा मौका' है। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि रिजर्व बैंक इस रास्ते में अतिरिक्त जटिलता जोड़ रहा है। उन्होंने ईटी अवार्ड फॉर कार्पोरेट एक्सीलेंस में कहा, "हमारे पास कम से कम 150 परियोजनाएं हैं, जिनकी लागत दो लाख करोड़ रुपये है। लेकिन निवेशकों के लिए बैंकों से कर्ज लेना कठिन हो गया है।"

मंत्री ने फंडिंग की इस समस्या को आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के निदेशक मंडल की बैठक से एक दिन पहले उठाया है, जो कई मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ केंद्रीय बैंक की तनातनी के बीच हो रही है। इन मुद्दों में तरलता की कमी, कर्ज के विस्तार जैसे मुद्दे पर मतभेद प्रमुख हैं। मंत्री ने कहा, "जहां तक विकास दर का सवाल है, रिजर्व बैंक के लिए देश में अवसंरचना को समर्थन देने का यह सही वक्त है। लेकिन कई बार आरबीआई के परिपत्र जटिलता को और बढ़ाते हैं।"

गडकरी ने कहा कि जब उन्होंने अपने मंत्रालय का पदभार संभाला था तो कुल 403 परियोजनाएं थीं, जिनकी कुल लागत 3.85 लाख करोड़ रुपये थी, जिनका ट्रैक रिकार्ड अच्छा रहा है। इससे अकेले उन्होंने भारतीय बैंकों का तीन लाख करोड़ रुपया बचाया है, नहीं तो वे फंस जाते और बैंक को उन्हें एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां) घोषित करना पड़ता।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह यह मामला आरबीआई गर्वनर उर्जित पटेल के समक्ष उठाएंगे? गडकरी ने कहा कि यह उनका काम नहीं है और बुरे अनुभव के लिए वह उनसे मिलना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, "मेरा अनुभव अच्छा नहीं रहा है। इसलिए उनसे मिलने का कोई मतलब नहीं है। किसी को किसी से तभी मिलना चाहिए, जब उससे कोई लाभ हो या कोई काम हो जाए।"

गौरतलब है कि हाल ही में रिजर्व सरप्लस और स्वयत्ता जैसे कई मुद्दों पर केंद्र सरकार और आरबीआई के बीच तनाव की खबरें आई हैं और वित्त मंत्री अरुण जेटली कई बार केंद्रीय बैंक की नीतियों की आलोचना कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वित्तीय घाटे से जूझ रही सरकार की नजर अब रिजर्व बैंक के रुपयों पर है।

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