नई दिल्ली: सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्णय लेने में वृहद भागीदारी चाहती है क्योंकि उसका मानना है कि मौजूदा चलन एक दिन की देरी के चलते ऋण के एनपीए में तब्दील होने जैसे कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर उसे अलग रखता है। आरबीआई के बोर्ड की होने वाली अहम बैठक से पहले सूत्रों ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि लोगों के प्रतिनिधि होने के नाते उसे आरबीआई के महत्वपूर्ण नीति निर्णयों में शामिल होना चाहिए।
सूत्रों ने अपनी बात के समर्थन में कहा कि सरकार कहती है कि गवर्नर और चार डिप्टी गवर्नरों की उपस्थिति से कुछ उप-समितियों का कोरम पूरा हो जाता है और किसी भी अन्य निदेशक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, गर्वनर की अध्यक्षता वाले आरबीआई के केन्द्रीय बोर्ड में दो सरकार नामित निदेशक और 11 स्वतंत्र निदेशक शामिल हैं।
इस समय, केन्द्रीय बोर्ड में 18 सदस्य हैं और इसकी अधिकतम संख्या 21 तक हो सकती है।