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वाशिंगटन: अमेरिकी अटॉर्नी जनरल (महाधिवक्ता) जेफ सेशन्स ने उन 46 अधिवक्ताओं (अटॉर्नीज़) के इस्तीफे मांगे हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन के दौरान की गई थी। यह जानकारी न्याय मंत्रालय ने दी है। न्याय मंत्रालय की प्रवक्ता सारा इसगर फ्लोर्स ने कल कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त किए गए कई संघीय अभियोजक अपने पद छोड़ चुके हैं लेकिन लगभग चार दर्जन लोग ऐसे हैं, जो ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल की शुरूआत के शुरूआती सप्ताहों में पद पर बने रहे। ‘‘एक समरूप सत्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए’’ इन लोगों से पद छोड़ने के लिए कहा गया है। जिन लोगों से इस्तीफा देने के लिए कहा गया है, उनमें सदर्न डिस्ट्रिक्ट ऑफ न्यूयार्क के अटॉर्नी जनरल और भारतीय मूल के अमेरिकी प्रीत भरारा शामिल हैं। उनकी नियुक्ति पूर्व राष्ट्रपति ओबामा ने वर्ष 2009 में की थी। भरारा ने नवंबर में ट्रंप की चुनावी जीत के बाद उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि ट्रंप ने भरारा को उनके पद पर बने रहने को कहा है। फ्लोर्स ने एक बयान में कहा कि जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन प्रशासन ने भी अपने कार्यकाल की शुरुआत में ऐसे ही अनुरोध किए थे। न्यूयार्क के सीनेटर चार्ल्स शूमर ने कहा कि वह अमेरिकी अधिवक्ताओं से, खासतौर पर भरारा से, इस्तीफे के लिए किए गए अनुरोधों की खबरों को सुनकर ‘व्यथित’ हैं।

वाशिंगटन: अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजक देश घोषित करने का बिल संसद में पेश किया है। दोनों देशों के रिश्तों में खटास के बीच छह माह में दूसरी बार ऐसा विधेयक अमेरिकी संसद में आया है। सदन की आतंकवाद संबंधी उपसमिति के अध्यक्ष टेड पो ने निचले सदन प्रतिनिधि सभा में गुरुवार को यह विधेयक पेश किया। पो ने कहा, पाक न सिर्फ एक गैर भरोसेमंद सहयोगी है बल्कि उसने वर्षों तक अमेरिका के कट्टर शत्रु की सहायता भी की। ओसामा बिन लादेन को पनाह देने से लेकर हक्कानी नेटवर्क से नजदीकी रिश्ते इस बात के सबूत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान किसके साथ है। सांसद ने कहा कि यही वक्त है जब हमें पाकिस्तान को उसकी धोखाधड़ी के लिए सहायता देना बंद करना चाहिए और उसे आतंकवाद का प्रायोजक देश घोषित किया जाए। बिल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से 90 दिन के भीतर यह बताने को कहा गया है कि क्या पाक ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने में सहयोग दिया है। इसके 30 दिन के बाद विदेश मंत्री फॉलोअप रिपोर्ट दाखिल कर बताएंगे कि यह फैसला क्यों नहीं लिया गया। उनका कहना है कि भारत के साथ भी अमेरिका के कुछ नीतिगत मतभेद हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दोनों देश एक साथ हैं। पो ने बुश प्रशासन में रक्षा अधिकारी रहे जेम्स क्लॉड के साथ लिखे एक लेख में भी पाक की बखिया उधेड़ी।

वाशिंगटनः अमेरिका के एक शीर्ष जनरल ने अमेरिकी सीनेट को आगाह करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार जारी तनाव कभी भी युद्ध का रूप ले सकता है। दोनों देशो के पास परमाणु हथियार है जिससे ये परमाणु युद्ध में भी तब्दील हो सकता है। अमेरिकी केंद्रीय कमान के कमांडर जनरल जोसेफ वोटल ने अमेरिकी सीनेट की शस्त्र सेवा समिति के सामने कहा कि भारत और पाकिस्तान में तनाव निरंतर बना हुआ है। वोटल ने कहा, ‘पाकिस्तान आधारित आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई के अभाव के चलते भारत चिंतित है और इस साल की शुरूआत में उसने अपने यहां हुए आतंकी हमले का जवाब भी दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा आकलन है कि इस तरह के हमले और संभावित प्रतिक्रिया बढ़ने की आशंका है।’ इसके अलावा पाकिस्तान को कूटनीतिक तरीके से अलग-थलग करने की भारत की रणनीति से दोनों देशों के संबंधों में सुधार आने की उम्मीद कम ही है। ऐसे में यह देखते हुए कि दोनों देश परमाणु शक्ति संपन्न हैं, विवाद जारी रहने पर उनके बीच परमाणु युद्ध का अंदेशा है।

 

सोलः दक्षिण कोरिया की शीर्ष अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे के खिलाफ संसद में महाभियोग को बरकरार रखते हुए आज उन्हें बर्खास्त कर दिया। इसके साथ ही देश की पहली महिला राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे महाभियोग द्वारा हटायी जाने वाली पहली नेता भी बन गईं। वह अब ब्लू हाउस छोड़ने को बाध्य हैं और मुकदमे से मिलने वाली कार्यकारी छूट भी उन्होंने खो दी है। संवैधानिक अदालत के मुख्य न्यायाधीश ली जुंग-मी ने कहा कि पार्क के कृत्य ने ‘‘लोकतंत्र और कानून के शासन की भावना को गंभीर रूप से कमजोर किया है। राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे को बर्खास्त किया जाता है। ’’पार्क को अपने मित्र चोइ सून-सिल को विदेश मंत्रालय में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने और सार्वजनिक कर्मी के तौर पर कानून का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था। समर्थकों और विरोधियों के प्रतिद्वंद्वी समूहों ने भी सुनवाई देखी क्योंकि इसे टेलीविजन पर सजीव प्रसारित किया गया था। सर्वसम्मति से लिए इस निर्णय ने महीनों से चली आ रही राजनीतिक उठापटक पर विराम लगा दिया। इस दौरान लाखों लोग विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे। वहीं इसने नये राष्ट्रपति चुनाव के लिये भी रास्ता साफ कर दिया जो अगले 60 दिनों के भीतर होना है। ली ने उनके कृत्य को ‘‘ कानून का गंभीर और अस्वीकार्य उल्लंघन ’’ करार देते हुये कहा, ‘‘ पार्क ने संविधान एवं कानून का उल्लंघन करते हुये लोगों का विश्वास तोड़ा है।

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