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इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने आज (शुक्रवार) कहा कि समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट मामले के आरोपी दक्षिणपंथी कार्यकर्ता स्वामी असीमानंद को एक अन्य मामले में विशेष अदालत द्वारा रिहा किया जाना ‘अफसोसनाक’ है। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने संवाददाताओं से बातचीत में यह बयान दिया। विशेष अदालत ने कल 2007 के अजमेर विस्फोट मामले में असीमानंद सहित छह अन्य लोगों को बरी किया था। जकरिया ने कहा, ‘असीमानंद और कर्नल पुरोहित समझौता एक्स्रपेस त्रासदी में शामिल थे। असीमानंद ने खुद अपराध स्वीकार किया था।’ समझौता एक्सप्रेस ट्रेन में 18 फरवरी, 2007 को पानीपत में विस्फोट हुआ था जिसमें 68 लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों में अधिकतर पाकिस्तानी नागरिक शामिल थे। जकरिया ने दावा किया कि भारत नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी करके कश्मीर में कथित अत्याचारों से दुनिया का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है।
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वाशिंगटनः अमेरिकी सेना के एक शीर्ष जनरल ने कहा है कि पाकिस्तान के नये सेना प्रमुख ने इस बात के संकेत दिये हैं कि वह तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं लेकिन उन्हें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में ‘‘और अधिक दृढ़ संकल्प’ होने की जरूरत है। अमेरिकी मध्य कमान के कमांडर जनरल जोसेफ वोटेल ने सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति के सदस्यों से कहा कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने उन आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है जिनके खिलाफ कार्रवाई करने में उनके पूर्ववर्ती उत्सुकता नहीं दिखाते थे। जनरल वोटेल ने कहा कि पाकिस्तान की सेना ने हाल ही में अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सेना के कमांडर जनरल जॉन निकोल्सन का समर्थन किया था। उन्होंने इस कार्य को ‘‘सही दिशा में उठाया गया एक कदम’’ बताया। जनरल वोटेल ने कहा, ‘‘लेकिन जरूरत इस बात की है कि वह और अधिक दृढ़ संकल्प हों और उस विशेष क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखें।’ वोटेल ने सीनेटर टॉम कॉटन के एक सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बहुत अच्छा संबंध है। उन देशों के बीच सीमा पर निश्चित रूप से कुछ तनाव है और इसलिए मुझे लगता है कि हम उनके बीच संबंधों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’
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संयुक्त राष्ट्र: कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने के लक्ष्य से दिए गए चीन के प्रस्ताव को अमेरिका ने ठुकरा दिया है। अमेरिका ने कहा है कि उत्तर कोरिया को उसके परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए राजी करने की पिछली सभी कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं और अब ‘दूसरे तरीके’ तलाशने की जरूरत है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के कार्यवाहक प्रवक्ता मार्क टोनर ने कहा कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच के रक्षा सहयोग की तुलना उत्तर कोरिया द्वारा अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति दिखाई गई ‘‘मुखर अवज्ञा’ से नहीं की जा सकती। टोनर ने कहा कि प्योंगयांग का व्यवहार विवेकपूर्ण नहीं रहा है और दुनिया को यह समझने की जरूरत है कि उत्तर कोरिया का परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ‘अमेरिका और उत्तर कोरिया के बारे में नहीं है’ और ‘हर देश को सोचना चाहिए कि हम बेहतर ढंग से कैसे प्रतिक्रिया दे सकते हैं।’ टोनर ने कहा, ‘उत्तर कोरिया को अर्थपूर्ण बातचीत के लिए राजी करने की दिशा में अब तक किए गए सभी प्रयास चाहे वह छह पक्षों की बातचीत हो या फिर प्रतिबंध हों सभी तरह के प्रयास नाकाम हुए हैं। इसलिए हमें उन्हें राजी करने के लिए नए तरीके तलाशने होंगे। हमें उन्हें मनाना होगा कि यह उनके भी हित में है।’ चीन ने उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच सीधे टकराव से बचने के लिए कल एक प्रस्ताव दिया था। चीन ने कहा था कि उत्तर कोरिया अपना परमाणु कार्यक्रम निलंबित करे और इसके बदले में अमेरिका और दक्षिण कोरिया तनाव का शिकार बने हुए प्रायद्वीप पर संयुक्त सैन्य अभ्यास पर रोक लगाएं। टोनर ने कहा कि चीन उत्तर कोरिया के परमाणु हथियार कार्यक्रम से क्षेत्र की सुरक्षा पर उपजे संकट को लेकर वास्तविक रूप से चिंतित है। उन्होंने कहा, ‘यह तर्कसंगत है. हम सभी उत्तर कोरिया की हरकतों से चिंतित हैं लेकिन हमारे नजरिए अलग-अलग हैं।’
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सैन जोस पिनुला: ग्वाटेमाला की राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित सरकारी संरक्षण गृह में समस्या तब शुरू हुई जब मंगलवार की शाम दर्जनों किशोरों ने वहां से भागने की कोशिश की। हालांकि ज्यादातर को पकड़कर उनके छात्रावासों में बंद कर दिया गया। यहां क्षमता से अधिक किशोरों को रखा गया था। अधिकारियों ने बताया कि कल किसी ने ग्रामीण क्षेत्र में बने सुधार गृह में उस हिस्से में रखे गद्दों में आग लगा दी जहां लड़कियां रहती हैं। आग तेजी से दोनों छात्रावासों में फैल गयी, जिसकी चपेट में आकर कम से कम 22 किशोरियों की मौत हो गयी, जबकि दर्जनों लड़कियां गंभीर रूप से झुलस गयीं। घटना के बाद बच्चों के परेशान परिजनों ने कागज के टुकड़ों पर अपने बच्चों के नाम लिखकर संरक्षण गृह के कर्मचारियों को दिये, ताकि उन्हें अपने बच्चों के बारे में कोई जानकारी मिल सके। इसके अलावा वह लोग अपने बच्चों का पता लगाने के लिए दो स्थानीय अस्पतालों और मुर्दाघर भी गये। अधिकारी घटना में मारी गयी किशोरियों की पहचान की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कई शवों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण जरूरी होगा.रूजवेल्ट अस्पताल के चिकित्सक डॉ. मार्को एंटोनियो बैरिएन्टोस ने अभिभावकों से बच्चों की तस्वीरें, दांत का रिकॉर्ड, टैटू या अन्य विशेषताओं की जानकारी लेकर आने को कहा है। फुटपाथ पर सामान बेचने वाली पिएडड एस्ट्राडा की 16 वर्षीय बेटी नौ दिनों से सुधारगृह में रह रही थी। उन्होंने उसे अस्पताल और मुर्दाघर में खोजा, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें पांच ऐसे शव मिले थे, जो पूरी तरह से पट्टियों से ढ़के हुये थे, इसलिये वह उनकी बच्ची के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं बता सकते। एस्ट्राडा ने घटना के लिये सरकार को दोषी ठहराया।
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