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न्यूयॉर्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उस समय एक और बड़ा झटका लगा जब हवाई की एक अदालत ने छह मुस्लिम देशों के नागरिकों को अमेरिका की यात्रा संबंधी उनके आदेश पर फिर से रोक लगा दी। ट्रंप ने छह मार्च को ही यात्रा संबंधी नए आदेश पर हस्ताक्षर किया था जिसमें विश्व के छह मुस्लिम देशों के नागरिकों को अमेरिका आने पर रोक लगाने की बात की गई थी। लेकिन हवाई की एक संघीय न्यायाधीश ने इस आदेश के लागू होने से कुछ घंटे पहले इस पर फिर से रोक लगा दी है। हवाई की संघीय न्यायाधीश डेरिक वाटसन ने इस नये आदेश पर रोक लगाते हुये कहा कि आदेश से अमेरिकी संविधान में मुस्लिमों के खिलाफ भेदभाव और उनकी सुरक्षा के कानूनों का उल्लंघन होगा। राष्ट्रपति और न्यायालय के बीच जारी यह लड़ाई अब फैडरल कोर्ट जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इससे पहले इस वर्ष जनवरी में भी यात्रा संबंधी इसी तरह का आदेश जारी किया था, जिस पर सिएटल के एक न्यायाधीश ने रोक लगा दी थी। राष्ट्रपति ट्रंप मुसलमान आबादी बहुल छह देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर 90 दिन की पाबंदी लगाना चाहते हैं। इसके अलावा वह शरणार्थियों पर भी 120 दिन के लिए प्रतिबंध लगाना चाहते हैं। राष्ट्रपति का कहना है कि उनके प्रतिबंधों से आतंकवाद को अमेरिका में घुसने से रोका जा सकेगा।

वॉशिंगटन: व्हाइट हाउस ने आज कहा कि ट्रंप प्रशासन व्यापक आव्रजन सुधारों पर काम कर रहा है लेकिन उन्होंने एच1बी वीजा कार्यक्रम में किये जाने वाले संभावित बदलावों पर तीन अप्रैल से पहले कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। एच1बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच खासा लोकप्रिय है। व्हाइट हाउस यहां एच1बी वीजा में तीन अप्रैल से पहले शासकीय आदेश के जरिये किये जाने वाले संभावित बदलावों के सवाल पर जवाब दे रहा था। तीन अप्रैल के बाद आगामी वित्त वर्ष के लिये अमेरिकी नागरिकता एवं प्रवासी सेवाओं के आवेदन लेने शुरू कर दिये जाएंगे। अगला वित्त वर्ष एक अक्तूबर 2017 से शुरू होगा। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने दैनिक प्रेस वार्ता के दौरान कहा, ‘मुझे लगता है कि मैंने पहले भी आव्रजन पर बात की है और इस व्यापक प्रक्रिया के दौरान हमने गैरकानूनी आव्रजन को कैसे रोका जाए और हम कानूनी आव्रजन के लिये क्या कर रहे हैं चाहे वे एच1बी हो या के1 या प्रणाली में मौजूद अन्य कोई वीजा इन दोनों तथ्यों पर विचार किया है।’

वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2005 में 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की और उस साल उन्होंने 3.8 करोड़ डॉलर का आयकर चुकाया। लोकप्रिय टीवी कार्यक्रमों में से एक कार्यक्रम में इस मुद्दे पर जानकारी लीक होने को विफल करने के लिए व्हाइट हाउस ने आज यह घोषणा कर दी। अमेरिका के एक टेलीविजन की मेजबान ने ट्रंप के वर्ष 2005 के आय और कर चुकाने वाले संपत्ति एवं कर फॉर्म का खुलासा करने का दावा किया था जिसके बाद व्हाइट हाउस ने उनका ब्यौरा जारी किया है। अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस लीक के पीछे किसका हाथ था। व्हाइट हाउस के बयान में इस ‘गैरकानूनी’ कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा की गयी है। व्हाइट हाउस ने कहा है, ‘आय के इस पर्याप्त आंकड़े और टैक्स भुगतान के बावजूद टैक्स रिटर्न की चोरी और प्रकाशन पूरी तरह से अवैध है।’ इसमें कहा गया है, ‘कपटी मीडिया इसे अपने एजेंडे का हिस्सा बनाना जारी रख सकता है लेकिन राष्ट्रपति सभी अमेरिकियों को लाभांवित करने वाले कर सुधार समेत अपने काम पर ध्यान केन्द्रित करेंगे।’

वाशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप इस साल के अंत में अपना सालाना वेतन दान करेंगे। उनका सालाना वेतन चार लाख डॉलर यानी क़रीब दो करोड़ 65 लाख रुपए है। अक्सर मीडिया की आलोचना करने वाले राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि उनके परमार्थ कार्य (चैरिटेबल वर्क्स) में मीडिया उनकी मदद करें। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति साल के अंत में अपना वेतन दान करना चाहते हैं। उन्होंने अमेरिका के लोगों के लिये यह संकल्प लिया है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ उन्होंने आप से इसके (वेतन) सही इस्तेमाल को सुनिश्चित करने में मदद करने की अपील की है।’’ व्हाइट हाउस से आया यह बयान बिल्कुल अलग है क्योंकि पिछले कुछ समय से अक्सर उसका मीडिया से टकराव होता रहा है। राष्ट्रपति चुनाव प्रचार अभियान के दौरान अरबपति उद्योगपति ने कई बार वेतन नहीं लेने की बात कही थी। आपको बता दें कि पूर्व में राष्ट्रपति हर्बर्ट हूवर और जॉन एफ कैनेडी ने भी अपना वेतन परमार्थ कार्यों के लिए दान दिया था।

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