कानपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को कानपुर पहुंचे। पीएम का विशेष विमान चकेरी एयरपोर्ट पर उतरा तो सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ मंत्रिमंडल के सहयोगियों तथा केंद्रीय मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। पीएम ने यहां नेशनल गंगा कांउसिल की पहली बैठक में नमामि गंगे की परियोजनाओं का हाल जाना और उसमें गिर रहे नालों का जायजा लिया। प्रधानमंत्री अटल घाट पहुंचे और मां गंगा को नमन किया। इस दौरान सीढ़ियों पर प्रधानमंत्री का संतुलन बिगड़ गया। जिससे वहां मौजूद अधिकारियों में हड़कंप मच गया। यहां स्टीमर से गंगा नदी का जायजा लेने के बाद पीएम मोदी नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
गंगा में प्रदूषण रोकने को अभी बहुत कुछ करना बाकी: मोदी
सीएसए में हुई राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में गंगा के किनारों पर आर्थिक गतिविधियां विकसित करने के साथ ही प्रधानमंत्री का गंगा की स्वच्छता, अविरलता और निर्मलता पर भी जोर रहा।
उन्होंने कहा कि टेनरियों, औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे और सीवरेज को गंगा में गिरने से रोकने की दिशा में काम चल रहा है। हालांकि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी का संवर्धन देश के लंबे समय से चुनौती बना हुआ है। मोदी ने कहा कि मां गंगा उप महाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है। इस नदी के संरक्षण और संवर्धन को लेकर किए जा रहे प्रयास को सहयोगात्मक संघवाद के उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार ने 2014 में नमामि गंगे की शुरुआत की। तब से लेकर अब तक इसके तहत गंगा की निर्मलता को लेकर काफी काम किया जा चुका है। ये सभी काम गंगा को स्वच्छ बनाने, प्रदूषण मुक्त रखने की दिशा में हुआ है। मोदी ने कहा कि अभी भी इस दिशा में काफी कुछ करना बाकी है। इसी उद्देश्य को लेकर राष्ट्रीय गंगा परिषद का गठन हुआ है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि उनकी सरकार के पहले कार्यकाल में गंगा से जुड़े सभी पांच राज्यों में पर्याप्त जल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए 20 हजार करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया। इसी तरह गंगा में प्रदूषण जाने से रोकने के लिए शोध संयंत्रों के निर्माण के लिए 7700 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
गंगा को निर्मल बनाने को जागरुकता पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ, निर्मल बनाने की दिशा में जन जागरुकता को जरूरत बताया। उन्होंने कहा कि इसके लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में जागरुकता कार्यक्रम निरंतर चलाए जाने चाहिए। बच्चों, महिलाओं, किसानों सभी को इससे जोड़ने की जरूरत है। खासकर औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे का शोधन इकाइयां अपने स्तर से ही करें इस पर भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।