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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रेपेजियम जोन (टीटीजेड) में निर्माण, औद्योगिक गतिविधियों व पेड़ काटने पर लगी रोक हटा दी है। शीर्ष अदालत ने 22 मार्च, 2018 को अपने आदेश में ताज क्षेत्र में यथास्थिति बनाए रखने को कहा था, जिसके कारण वहां कई औद्योगिक इकाइयों का काम अटका पड़ा था। हालांकि भारी उद्योगों पर प्रतिबंध अभी जारी रहेगा।

चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने पिछले आदेश में बदलाव करते हुए प्रदूषण नहीं फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों को गतिविधियां चलाने की इजाजत दे दी है। बशर्ते वे नियमों के अनुरूप हों और पर्यावरण मंजूरी मिली हुई हो। पीठ ने कहा कि नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता। पीठ ने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट पर अंतिम निर्णय होने तक भारी उद्योगों पर यह प्रतिबंध जारी रहेगा।

यूपी सरकार याचिका दायर कर यथास्थिति के आदेश को वापस लेने की मांग की थी। सरकार का कहना था कि प्रतिबंध ताज के संरक्षण को लेकर विजन डॉक्यूमेंट तैयार होने तक के लिए था, जिसे पेश किए हुए करीब छह महीने हो गए हैं। इसे कोर्ट ने मान लिया।

आदेश के कारण अटकी थीं परियोजनाएं

सरकार का कहना था कि 22 मार्च के आदेश के कारण टीटीजेड में काम रुका पड़ा है। कई लंबित परियोजनाओं पर वह निर्णय नहीं ले पा रही है। इस जोन में कई ऐसी इकाइयों का काम लटका है जो प्रदूषणरहित हैं। आईटी इंडस्ट्री, चमड़े की सिलाई करने वाली इकाइयां, होटल, एसटीपी, बायो डायवर्सिटी ट्रीटमेंट आदि इकाइयां भी रुकी पड़ी हैं।

10400 वर्ग किमी में फैला है टीटीजेड

पीठ पर्यावरणविद् एमसी मेहता की याचिका पर सुनवाई कर रही है। विश्व धरोहर ताजमहल को प्रदूषण से बचाने के लिए 30 दिसंबर, 1996 को टीटीजेड बनाया गया था। 10400 वर्ग किलोमीटर का यह क्षेत्र यूपी के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, एटा व हाथरस और राजस्थान के भरतपुर तक फैला हुआ है।

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