लखनऊ: संविधान दिवस पर विधानमंडल के बुलाए गए विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अंगीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की मूल भावना न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व इन चार शब्दों में समाई हुई है। संविधान हमें अधिकार देता है तो कर्तव्यों का पालन करने के लिए भी कहता है। यही एक कारण है कि हम सभी अलग-अलग पृष्ठभूमि का होने के बावजूद एक सदन में बैठे हुए हैं।
योगी ने कहा कि देश संविधान की भावना के अनुरूप चले इसमें देश की संवैधानिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका होती है। आज संविधान लागू हुए 70 साल हो गए ये देश के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इन वर्षों में देश का लोकतंत्र मजबूत हुआ है। इसके पहले, विशेष सत्र में प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। उन्होंने संविधान की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही संविधान प्रदत्त मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जब हम मौलिक अधिकारों की बात करते हैं तो कर्तव्यों को कैसे भूल सकते हैं। अधिकार व कर्तव्य सदैव सहगामी होते हैं। कर्तव्य विहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देता है।
उन्होंने प्रसन्नता जताई कि एक देश, एक विधान, एक निशान का सपना अब साकार हुआ है।
सविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर विधानसभा और विधान परिषद के संयुक्त अधिवेशन में राज्यपाल ने 17 मिनट का अभिभाषण पढ़ा। कहा कि आज के ही दिन 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान अंगीकृत किया गया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 नवंबर 2015 को मुंबई में संविधान के महान शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर की स्मृति में 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी।
उन्होंने कहा, संविधान की प्रस्तावना का शुभारंभ हम भारत के लोग से होता है। हमारा संविधान भारत की राजव्यवस्था को संचालित करने का अप्रतिम पथ-प्रदर्शक है। संविधान के लक्ष्य या उद्देश्य उसकी प्रस्तावना में निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि संविधान का उद्देश्य यह भी है कि नागरिकों को स्वतंत्रता प्राप्त हो एवं सभी की समता व गरिमा सुनिश्चित हो।
राज्यपाल ने प्रसन्नता जताई कि भारत सरकार ने एतिहासिक कदम उठाते हुए हाल ही में जम्मू कश्मीर राज्य से जुड़े अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को हटा दिया है। संविधान के अनुच्छेद 35-ए को समाप्त कर दिया है। जो कानून भारत के अन्य भागों में लागू होते हैं, वहीं अब जम्मू कश्मीर में भी लागू होंगे। एक देश एक विधान एक निशान का सपना अब साकार हुआ है।
'अधिकार विहीन कर्तव्य निरर्थक और कर्तव्य विहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देते हैं'
राज्यपाल ने कहा कि यदि संविधान के शिल्पकार हमें मूल अधिकार नहीं देते तो हम समानता, स्वतंत्रता और गरिमामयी जीवन की कल्पना नहीं कर सकते थे। अधिकार विहीन कर्तव्य निरर्थक और कर्तव्य विहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देते हैं। यदि हम अपनी स्वतंत्रता की इच्छा रखते हैं तो यह भी आवश्यक है कि दूसरों की स्वतंत्रता के प्रति धैर्य एवं सहिष्णुता का भाव रखें।
सामूहिक भावना से एक सूत्र में बंधना ही राष्ट्र
आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि जब किसी समाज के सभी व्यक्ति किसी भौगोलिक सीमा के अंदर पारस्परिक भेदभाव भुलाकर सामूहीकरण की भावना से प्रेरित होते हुए एकता के सूत्र में बंध जाते हैं तो उसे राष्ट्र के नाम से पुकारा जाता है। राष्ट्र से अलग होकर किसी भी व्यक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है।
पर्यावरण की सुरक्षा करना कर्तव्य
राज्यपाल ने कहा, हमारा देश स्वतंत्रता, गरिमामयी जीवन और समता के अधिकारों को सुनिश्चित करता है तो नागरिकों से कुछ कर्तव्यों की अपेक्षा करना स्वाभाविक है। हमारा कर्तव्य है कि देश के संविधान, राष्ट्रध्वज व राष्ट्रगान के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें। देश की सामाजिक व सांस्कृतिक घरोहर का संरक्षण करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा करें।
सपा सदस्यों ने विधानभवन परिसर में किया विरोध प्रदर्शन
वहीं, सपा सदस्यों ने विधानभवन के बाहर प्रदर्शन करते हुए केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार को संविधान विरोधी करार दिया। उन्होंने किसानों व कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए सरकार को घेरने की कोशिश की।