नई दिल्ली: उत्तर-प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बड़ा घपला सामने आया है। जांच में 14 लाख से ज्यादा फर्जी बच्चे पाए गए हैं। जिनका नाम कागजों पर दर्ज मिला है। यह बात महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने स्वीकार की है। मंत्रालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 1.88 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों में 14 लाख से ज्यादा ‘‘फर्जी बच्चे'' दर्ज पाए गए हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय पोषण परिषद की एक बैठक में गुरुवार को मंत्रालय को बताया गया कि प्रदेश में चल रही 1.88 लाख आंगनवाड़ियों में करीब 14.57 लाख फर्जी लाभार्थी दर्ज थे। एक प्रकार के ग्रामीण बाल देखभाल केंद्र, आंगनवाड़ी की स्थापना सरकार द्वारा छह साल तक की उम्र के अल्प पोषित और सही से विकास नहीं कर पा रहे बच्चों की सहायता के लिये किया गया था।
अधिकारी ने कहा, ‘‘फर्जी बच्चों की पहचान आधार के साथ लाभार्थियों के पंजीकरण के बाद हुई।''सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में आंगनवाड़ी में कुल 1.08 करोड़ बच्चे पंजीकृत हैं और इस वित्त वर्ष में इन केंद्रों के लिये फरवरी 2018 तक कुल 2,126 करोड़ रूपये जारी किये गए।
अधिकारी ने कहा कि हर बच्चे के खाने के लिये प्रतिदिन मंत्रालय की तरफ से 4.8 रूपये दिये जाते हैं जबकि इस मद में राज्य का योगदान 3.2 रूपये होता है। उन्होंने कहा, ‘‘फर्जी बच्चों की पहचान के साथ ही यह पाया गया कि उत्तर प्रदेश में प्रति महीने 25 करोड़ रूपये बचाए जा सकते हैं।''
एक अन्य महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने कहा कि देश में बच्चों की कुल जनसंख्या का करीब 39 फीसद उत्तर प्रदेश में रहता है इसलिये राज्य में बच्चों की संख्या ज्यादा है। देश भर की आंगनवाड़ियों में पंजीकृत फर्जी लाभार्थियों की पहचान और उन्हें सूची से हटाया जाना एक ‘‘अनवरत प्रक्रिया'' है।
खाद्य वितरण प्रणाली में कई तरह की कमियों का हवाला देते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि उन बच्चों की संख्या को सत्यापित करें जिन्हें ‘‘वास्तव में भोजन दिये जाने की जरूरत है।''