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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रयागराज महाकुंभ में खुले में शौच को लेकर यूपी सरकार पर 10 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने की मांग वाली याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में सुनवाई हुई। एनजीटी ने यूपी सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि ये आपकी जिम्मेदारी है, इस पर आप तुरंत ध्यान दें। इस मामले में अबतक यूपी सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया है। ट्रिब्यूनल ने फिलहाल इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने एनजीटी में कहा कि इस मामले में हम पहले से तैयारी किए हुए हैं, जिसको लेकर हम अपना जवाब दाखिल करेंगे। यूपी सरकार की तरफ से यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने कहा कि हम इस मामले में जरूरी कदम उठा रहे हैं।

एनजीटी ने यूपी सरकार को उचित कदम उठाने के दिए निर्देश, फैसला रखा सुरक्षित

एनजीटी ने इस मामले में यूपी सरकार को गंभीरता से उचित कदम उठाने के निर्देश दिए और फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि हम अपना विस्तृत आदेश बाद में पारित करेंगे।

सुविधाओं की कमी के कारण श्रद्धालु खुले में शौच को मजबूर

याचिकाकर्ताओं ने एनजीटी में अपील कर कहा कि अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्होंने महाकुंभ नगर में ह्युमन वेस्ट को निपटाने के लिए अनेकों अत्याधुनिक बायो-टॉयलेट्स लगाए हैं, लेकिन इन सुविधाओं की कमी या साफ-सफाई की कमी की वजह से बहुत से लोग गंगा नदी के तट पर खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।

यूपी सरकार पर 10 करोड़ का जुर्माना लगाने की मांग

याचिका के मुताबिक, लाखों श्रद्धालु और उनके परिवार पर्याप्त सुविधाओं की कमी के कारण खुले में शौच कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिए न सिर्फ बायो-टॉयलेट्स की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि उनकी उचित सफाई और देखरेख का भी खास ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके साथ ही यूपी सरकार पर स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध कराने में विफल रहने के लिए 10 करोड़ रुपये का पर्यावरण जुर्माना भी लगाने की मांग की गई थी।

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