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नई दिल्ली: राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने सोमवार को कहा कि नोटबंदी के बाद 10 नवंबर से बैंकों में जमा कराये गये धन की पूरी घोषणा की जाती है और उस पर 50 प्रतिशत की दर से करों और जुर्माने आदि का भुगतान कर दिया जाता है तो कर विभाग उस आय के स्रोत के बारे में नहीं पूछेगा। उन्होंने कहा कि घोषित धन पर संपत्ति कर, दिवानी कानून तथा कर से जुड़े अन्य कानून से छूट प्राप्त होगी लेकिन फेमा, पीएमएलए, नारकोटिक्स और कालाधन कानून से कोई रियायत नहीं मिलेगी।’ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आयकर कानून में संशोधन के लिये लोकसभा में एक विधेयक पेश किया जिसमें यह भी प्रावधान है कि घोषणा करने वालों को अपनी कुल जमा राशि का 25 प्रतिशत सरकार द्वारा लायी जा रही एक ‘गरीबी-उन्मूलन योजना’ में निवेश करना होगा पर इस योजना में लगाए गए पैसे पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा। साथ ही इस राशि को चार साल तक नहीं निकाला जा सकेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के नोट पर पाबंदी की घोषणा के करीब तीन सप्ताह बाद विधेयक लाया गया है। अगर अघोषित आय का पता बाद में चलता है तो कुल कर और जुर्माना 85 प्रतिशत लगाया जाएगा। अधिया ने कहा, ‘हतोत्साह करने वाले प्रावधान जरूरी हैं ताकि लोगों के मन में कालाधन रखने को लेकर भय हो।’ उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) में घोषणा से यह सुनिश्चित होगा कि कोष के स्रोत के बारे में कुछ नहीं पूछा जाएगा।
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लखनऊ: देश की 80 प्रतिशत आबादी को रोजगार देने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों (एमएसएमई) पर नोटबंदी का बहुत बुरा असर पड़ने की आशंकाओं के बीच केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र का कहना है कि शुरू में इस क्षेत्र के लिये मुश्किलें होंगे लेकिन इससे क्षेत्र में रोजगार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मिश्र ने कहा, ‘नोटबंदी की वजह से एमएसएमई को शुरुआत में कुछ दिक्कत हो सकती है लेकिन मुद्रा का प्रवाह ठीक होने के बाद इस क्षेत्र के लिये भी यह कदम मददगार साबित होगा।’ नोटबंदी की वजह से एमएसएमई में काम करने वाले बड़ी संख्या में लोगों के बेरोजगार हो जाने की भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग महासंघ (एफआईएसएमई) की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हम उनमें विश्वास जगाने की कोशिश कर रहे हैं।’ मिश्र ने कहा, ‘हमारे अधिकारी काम में जुटे हैं और इस मुश्किल का हल निकाल लिया जाएगा। नोटबंदी से एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी देश से काला धन खत्म करने के लिये केन्द्र द्वारा लिया गया बड़ा निर्णय है और शुरुआती परेशानियां होने के बावजूद देश के आम लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं।’ केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री का यह आश्वासन ऐसे वक्त आया है जब नकदी की जबर्दस्त किल्लत की वजह से सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों में काम करने वाले देश के आठ करोड़ में से बड़ी संख्या में कामगारों के बेरोजगार होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
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नई दिल्ली: भारतीय उद्योग जगत ने शनिवार को कहा कि नोटबंदी का देश की अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक असर होगा, इसलिए सरकार को उत्पादकता और खपत बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उद्योग जगत ने आगामी बजट में कंपनी टैक्स को कम करने पर भी जोर दिया है। उद्योग मंडलों और निर्यातक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ बजट पूर्व चर्चा में यह बात कही। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 500 और 1000 रुपये के नोटों को 8 नवंबर को चलन से हटा दिया। इसके साथ ही सरकार को सरकारी कंपनियों (पीएसयू) में विनिवेश तेज करने, कॉरपोरेट टैक्स को घटाकर 18 प्रतिशत करने और मैट में कमी का सुझाव भी दिया गया है। उद्योगपति राजन मित्तल ने बैठक के बाद कहा, 'बैठक में नोटबंदी पर भी चर्चा हुई। हम चाहते हैं कि इस कारण आम लोगों को हो रही दिक्कतें दूर हो और मुझे पूरा भरोसा है कि सरकार इस पर काम कर रही है।' फियो के अध्यक्ष एससी रल्हन ने निर्यात बढ़ाने के लिए निर्यात विकास कोष बनाने की वकालत की। वहीं फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने भी कहा कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक असर होगा। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा कि दीर्घकालिक लिहाज से नोटबंदी सही और स्वागत योग्य कदम है, लेकिन उद्योग जगत में यह व्यापक रूप से महसूस किया जा रहा है कि त्वरित रूप से जो गिरावट दिखाई दे रही है, हमें उसकी भरपाई करने की जरूरत है।
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नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने पर होने वाले राजस्व के नुकसान पर केंद्र राज्यों को हर तिमाही में अस्थायी क्षतिपूर्ति करेगा। अंतिम राजस्व में होने वाले नुकसान की राशि के भुगतान का निर्णय सीएजी के ऑडिट के बाद होगा। केंद्र ने जीएसटी क्षतिपूर्ति कानून के मसौदे को शनिवार को सार्वजनिक करते हुए कहा कि राजस्व में नुकसान की पूर्ति पहले पांच साल लग्जरी समान और तंबाकू जैसे सिन गुड्स पर उपकर लगा कर की जाएगी जिसे ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर’ के नाम से जाना जाएगा। पांच साल के दौरान उपकर से प्राप्त अतिरिक्त राशि ‘जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष’ में जमा होगी, जिसे केंद्र और राज्यों में बराबर बांटा जाएगा। इस कानून के मसौदे पर वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाले जीएसटी परिषद की 2-3 दिसंबर को होने वाली अगली बैठक में चर्चा होगी।
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