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नई दिल्ली: नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने डेबिट कार्डों के उपयोग पर लिए जाने वाले लेन-देन शुल्क से 31 दिसंबर तक छूट की घोषणा की है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने यहां पत्रकारों से कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक और कुछ निजी बैंक डेबिट कार्ड के माध्यम से किए जाने वाले सभी तरह के भुगतान पर लेन-देन शुल्क माफ करने पर राजी हो गए हैं। यह निर्णय 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के बाद की स्थिति की समीक्षा के बाद किया गया है। इसका उद्देश्य डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना है। दास ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, कुछ निजी बैंक एवं कुछ सेवाप्रदाताओं (स्विचिंग सेवा देने वालों) ने 31 दिसंबर तक डेबिट कार्ड के उपयोग पर सेवा शुल्क नहीं लेने पर सहमति जतायी है।’ वर्तमान में रूपे डेबिट कार्ड ने पहले ही स्विचिंग शुल्क से छूट दी हुई है। अन्य डेबिट कार्ड कंपनियां जो अंतरराष्ट्रीय कार्ड नेटवर्क का संचालन करती हैं जैसे कि मास्टरकार्ड और वीजा मौजूदा समय में लेन-देन शुल्क लेती हैं। अभी इस लेन-देन शुल्क का भार ग्राहक को उठाना पड़ता है। सरकार को किए जाने वाले भुगतान पर इसे आम भाषा में व्यापारिक छूट दर (एमडीआर) के नाम से जाना जाता है। दास ने कहा, ‘डेबिट कार्डों पर लगने वाले एमडीआर शुल्क, बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क और स्विचिंग शुल्क सभी को समाप्त कर दिया गया है।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा आठ नवंबर को की गई नोटबंदी के बाद जन धन बैंक खातों में 21,000 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं। ये रकम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा करने के बाद जमा कराई गई है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि अधिकांश रकम पश्चिम बंगाल में लोगों के जन धन खाते में जमा कराए गए हैं। प्रत्येक परिवार को बैंक खातों से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री की जन धन वित्तीय समायोजन योजना के तहत कुल 24 करोड़ बैंक खाते खोले गए थे। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने काले धन को सफेद बनाने के लिए दूसरे के खातों का इस्तेमाल करने को लेकर चेतावनी देते हुए कहा था कि इस तरह की गतिविधि के लिए अपने खातों का इस्तेमाल करने की मंजूरी देने वालों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। मंत्रालय ने कहा, ‘‘अगर इस बात का खुलासा हो जाता है कि खाते में डाली गई रकम खाताधारक के नहीं, बल्कि किसी और के हैं, तो इसमें दो राय नहीं कि कर चोरी की यह गतिविधि आयकर तथा दंड के अधीन विषय है।’’ इस उद्देश्य के लिए अपने खातों का गलत इस्तेमाल करने की मंजूरी देने वाले लोगों को आयकर अधिनियम के तहत दंडित किया जाएगा। इससे पहले दिन में सभी बैंकों को छोटी बचत योजनाओं में जमा करने के लिए 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से स्वीकार न करने का निर्देश दिया गया था।

मुंबई: रतन टाटा पर फिर हमला बोलते हुए समूह के हटाए गए चेयरमैन साइरस मिस्त्री ने इन आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने समूह की दुधारू गाय मानी जाने वाली कंपनियों टीसीएस और जेएलआर में कोई योगदान नहीं दिया। इसके उलट मिस्त्री ने समूह के प्रमुख रतन टाटा पर आरोप लगाया कि उन्होंने आईटी कंपनी को आईबीएम को बेचने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि रतन टाटा ने अपने ‘अहंकार’ में कोरस जैसे खराब कारोबारी फैसले लिए. कोरस का अधिग्रहण मूल लागत से दोगुना में किया गया। मिस्त्री के कार्यालय से जारी पांच पृष्ठ के पत्र में कहा गया है कि इस मामले को सीधा करना जरूरी है क्योंकि आक्षेप और लीक सिर्फ यह भ्रम पैदा करने के लिए की जा रही है कि मिस्त्री अपने को दूर रखने वाले चेयरमैन थे और टीसीएस-जेएलआर उनके नेतृत्व में खुद से आगे बढ़ रही थीं। पत्र में मिस्त्री द्वारा दोनों कंपनियों के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में किए गए प्रयासों का जिक्र किया गया है जिसकी वजह से इन कंपनियों ने समूह के मुनाफे में 90 प्रतिशत का योगदान दिया। पत्र में इस का जिक्र किया गया है कि नमक से साफ्टवेयर क्षेत्र का समूह इस शानदार प्रदर्शन का श्रेय लेने में व्यस्त है। पत्र में कहा गया है कि रतन टाटा ने एक बार समूह की ‘नगीना’ कंपनी टीसीएस को वैश्विक दिग्गज कंपनी आईबीएम को बेचने का प्रयास किया था। मिस्त्री को 24 अक्तूबर को हटाए जाने के बाद रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन नियुक्त किया गया है।

नई दिल्ली: आयकर विभाग ने अपनी अघोषित राशि दूसरों के बैंक खातों में जमा करवाने वालों को आगाह किया है। विभाग ने इस मामले में नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ बेनामी लेनदेन कानून के तहत आरोप लगाने का फैसला किया है, जिसमें जुर्माना व अधिकतम सात साल की कैद की सजा हो सकती है। इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि विभाग ने 8 नवंबर के बाद उसने अप्रचलित नोटों के संदिग्ध इस्तेमाल को लेकर 80 से अधिक सर्वे व लगभग 30 तलाशियां ली जिनमें 200 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय पकड़ी गई। इस तरह की कार्रवाई में 50 करोड़ रये की नकदी भी जब्त की गई है। सरकार ने 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा 8 नवंबर को की थी. कर अधिकारियों ने इस तारीख के बाद बैंक खातों में भारी नकदी जमा कराए जाने के मामलों की पड़ताल के तहत देशभर में अभियान चलाया है। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामलों में संदेह सही पाए जाने पर बेनामी संपत्ति लेनदेन कानून 1988 के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह कानून चल व अचल, दोनों संपत्तियों पर लागू होता है। इस कानून के तहत राशि जमा कराने वाले व जिसके खाते में जमा हुई, दोनों को पकड़ा जा सकता है। सूत्रों ने कहा, "सीबीडीटी ने आयकर विभाग से कहा है कि वह उन मामलों पर कड़ी निगरानी रखे जिनमें 500 व 1000 रुपये के पुराने मुद्रा नोटों का इस्तेमाल करते हुए अपने कालेधन को वैध बनाने व छुपाने के लिए दूसरों के बैंक खातों के इस्तेमाल का संदेह हो।"

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