लखनऊ: देश की 80 प्रतिशत आबादी को रोजगार देने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों (एमएसएमई) पर नोटबंदी का बहुत बुरा असर पड़ने की आशंकाओं के बीच केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र का कहना है कि शुरू में इस क्षेत्र के लिये मुश्किलें होंगे लेकिन इससे क्षेत्र में रोजगार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मिश्र ने कहा, ‘नोटबंदी की वजह से एमएसएमई को शुरुआत में कुछ दिक्कत हो सकती है लेकिन मुद्रा का प्रवाह ठीक होने के बाद इस क्षेत्र के लिये भी यह कदम मददगार साबित होगा।’ नोटबंदी की वजह से एमएसएमई में काम करने वाले बड़ी संख्या में लोगों के बेरोजगार हो जाने की भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग महासंघ (एफआईएसएमई) की आशंका के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हम उनमें विश्वास जगाने की कोशिश कर रहे हैं।’ मिश्र ने कहा, ‘हमारे अधिकारी काम में जुटे हैं और इस मुश्किल का हल निकाल लिया जाएगा। नोटबंदी से एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘नोटबंदी देश से काला धन खत्म करने के लिये केन्द्र द्वारा लिया गया बड़ा निर्णय है और शुरुआती परेशानियां होने के बावजूद देश के आम लोग इस कदम का समर्थन कर रहे हैं।’ केन्द्रीय एमएसएमई मंत्री का यह आश्वासन ऐसे वक्त आया है जब नकदी की जबर्दस्त किल्लत की वजह से सूक्ष्म, लघु एवं मंझोले उद्योगों में काम करने वाले देश के आठ करोड़ में से बड़ी संख्या में कामगारों के बेरोजगार होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
पहले से ही निर्यात में कमी और बैंकों से महंगे कर्ज की मार झेल रहे एमएसएमई क्षेत्र के लिये नोटबंदी एक नयी मुसीबत के रूप में सामने आयी है। एफआईएसएमई के महासचिव अनिल भारद्वाज ने बताया कि नोटबंदी के बाद छोटे उद्योगों के हाथ में बहुत कम धन ही रह गया है। ऐसे में उनमें काम करने वाले बड़ी संख्या में लोगों को अपना रोजगार गंवाना पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक देश के कुल निर्यात में 40 प्रतिशत का योगदान करने वाले एमएसएमई क्षेत्र में ज्यादातर काम नकदी में ही होता है। ऐसे में देश की 86 प्रतिशत करेंसी अचानक समाप्त किये जाने से इस क्षेत्र को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। नोटबंदी के कारण खासकर चमड़ा उद्योग, बर्तन उद्योग, कागज मिल, उन उद्योग इत्यादि बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। एमएसएमई कंपनियां इस मुद्दे को वित्त मंत्री अरण जेटली के सामने बजटपूर्व बैठक में उठाएंगी, ताकि सरकार वास्तविकता के धरातल पर स्थिति का आकलन करके फौरी राहत के कदम उठाये।