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नई दिल्ली: 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद उपजी कई समस्याओं में से एक के समाधान के लिए राजमार्गों पर टोल नाकों पर वसूली पर जो रोक लगाई गई थी,वह आज (शनिवार) से हट गई है। आज से फिर टोल प्लाजा पर टोल लिया जाएगा। सड़क परिवहन राज्यमंत्री मनसुख एल मांडविया ने कहा कि 15 दिसंबर तक जहां टोल टैक्स 200 रुपये से ज़्यादा है वहां अब भी 500 के पुराने नोट लिए जाएंगे। सरकार का कहना है कि टैक्स के पैसे लेने के लिए हर तरीके से डिजिटल व्यवस्था भी की गई है। 8 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान के बाद राष्ट्रीय राजमार्गों को पहले 11, फिर 24 नवंबर और बाद में दो दिसंबर तक फ्री किया गया था। इधर 500 रुपये के नोटों पर पेट्रोल पंप और हवाई टिकट पर मिलने वाली छूट ख़त्म हो गई है। गौरतलब है कि नोटबंदी की घोषणा के बाद से केंद्र सरकार ने तमाम जगहों पर पुराने 500 और 1000 के नोट को चलाने की छूट दी थी। इस छूट को पहले 1000 रुपये के लिए बंद किया गया और अब आज से पेट्रोल पंप, नेशनल हाईवे पर बने टोल प्लाजा और हवाई अड्डों पर भी 500 रुपये के नोट नहीं चलेंगे। पहले इन जगहों पर यह समय सीमा 15 दिसंबर तक थी। अब सिर्फ इन जगहों पर ही कर सकते हैं 500 रुपये का इस्तेमाल, सरकारी अस्पतालों और दवा की दुकानों पर, पर डॉक्टर का लिखा हुआ पर्चा दिखाना अनिवार्य। रसोई गैस के सिलेंडर लेने के दौरान। रेलवे टिकट काउंटरों पर टिकट लेने के दौरान।

मुंबई: तेल निर्यातक देशों के संगठन द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती की घोषणा तथा रुपये की विनिमय दर में तीव्र गिरावट के मद्देनजर भारत के लिए आयातित कच्चे तेल के दाम में वृद्धि होगी हालांकि तेल सब्सिडी बोझ बजटीय अनुमान के अंदर ही रहने की संभावना है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की रिपोर्ट के अनुसार अगर कच्चा तेल 55 डालर प्रति बैरल पर रहता है तो तेल आयात खर्च चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में चार अरब डालर बढ़ जाएगा। इक्रा कारपोरेट सेक्टर रेटिंग के प्रमुख के. रविचंद्रन ने कहा कि इससे कंपनियों के लिए सब्सिडी वाले एलपीजी और केरोसीन पर सकल सलाना सब्सिडी (अंडर-रिकवरी) 1,200-1,500 करोड़ रुपये बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि लंबे समय के बाद पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने 30 नवंबर को जनवरी से कच्चे तेल के उत्पादन में कुल मिला कर दैनिक 12 लाख बैरल कमी करने पर सहमति जतायी है। इस निर्णय से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का दाम 5 प्रतिशत बढ़ा है। इससे ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 54 डालर बैरल पहुंच गया। उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में कच्चे तेल का दाम अगर 50 से 60 डालर प्रति बैरल रहता है तो तेल सब्सिडी पूरे वर्ष के दौरान 17,000 से 19,000 करोड़ रुपये रहेगी। यह बजटीय आवंटन 27,000 करोड़ रुपये के भीतर है। इस प्रकार, वित्तीय स्थिति पर प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।’ पहली छमाही में सकल अंडर-रिकवरी 7,830 करोड़ रुपये रहा।

नई दिल्ली: आदर्श जीएसटी कानून पर ताकतवर जीएसटी परिषद की बैठक के पहले दिन किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई है। इस मुद्दे पर परिषद की बैठक में शनिवार को फिर विचार विमर्श किया जाएगा। इसके अलावा परिषद की बैठक में नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में करदाताओं के दोहरे नियंत्रण के मुद्दे को भी सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की पांचवीं बैठक में नोटबंदी के राजस्व पर पड़ने वाले असर का भी आकलन किया जाएगा। परिषद में राज्यों के वित्तमंत्री भी शामिल हैं। केंद्र की योजना जीएसटी को एक अप्रैल से लागू करने की है। संवैधानिक बाध्यता की वजह से सरकार के लिए जीएसटी को अगले साल 16 सितंबर तक लागू करने की बाध्यता है। कुछ राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भरोसा जताया कि अभी भी जीएसटी को एक अप्रैल, 2017 से लागू किया जा सकता है, हालांकि समय निकलता जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री हासिब द्राबु ने कहा कि दोहरे नियंत्रण पर अभी कोई सहमति नहीं बन पाई है। हालांकि, उन्होंने कहा कि जीएसटी को 1 अप्रैल से लागू करने की संभावना कायम है। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रियों ने राज्य जीएसटी कानून पर विचार विमर्श किया। ‘हम आदर्श जीएसटी कानून को लेकर अधिक चीजों को स्पष्ट कर सकेंगे।’ केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने कहा कि बैठक बेनतीजा रही। हमें एजेंडा तय करने में ही दो घंटे खर्च करने पड़े।

नई दिल्ली: नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में कुछ समय के लिये उथल पुथल को स्वीकार करते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि इसका अर्थव्यवस्था पर एक तिमाही के करीब असर देखा जा सकता है लेकिन आने वाले लंबे समय में इसके कई फायदे होंगे। जेटली ने एक कार्यक्रम में कहा, ‘जब कोई बदलाव होता है तो कुछ उथल पुथल होती है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह ज्यादा समय रहेगी। आप इसका असर एक तिमाही अथवा इसके आसपास देख सकते हैं। इसके बाद अगली 12-15 तिमाहियों को देखेंगे तो निश्चित ही इसका फायदा आपको दिखेगा।’ नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियों के रुझान की बात करते हुये वित्त मंत्री ने कहा कि रबी मौसम की बुवाई पिछले साल से अधिक हुई है जबकि आटोमोबाइल क्षेत्र में बिक्री मिली जुली रही है। उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से भारतीय अर्थव्यवस्था लगातार उच्च आर्थिक वृद्धि हासिल कर रही है। उसका दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा बरकरार है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस साल भी भारत संभवत: सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। जीएसटी के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि इसके क्रियान्वयन को अगले साल 17 सितंबर के बाद नहीं टाला जा सकता। यह संवैधानिक बाध्यता है। उन्होंने कहा, ‘पहली बात यह है कि संविधान जीएसटी पर अमल में देरी की अनुमति नहीं देता।

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