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हैदराबाद: श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने शनिवार को कहा कि सरकार ने 2020 तक एक करोड़ युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत कौशल विकास किया जाएगा। यहां दो दिवसीय ‘रोजगार मेला’ का उद्घाटन करते हुए दत्तात्रेय ने कहा कि केंद्र सरकार देशभर में कौशल विकास केंद्र स्थापित करेगी। वर्ष 2020 तक एक करोड़ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए इन केंद्रों की स्थापना पर सरकार 12,000 करोड़ रुपये निवेश करेगी। उन्होंने कहा कि नौकरी की चाह रखने वालों के लिए उनका मंत्रालय आदर्श करियर केंद्रों की स्थापना कर रहा है। देशभर में अभी 950 रोजगार केंद्र हैं जिनमें से 100 केंद्रों को 350 करोड़ रुपये की लागत से आदर्श केंद्र बनाया जाएगा। दत्तात्रेय ने कहा कि केंद्र सरकार ने देशभर में 100 ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्र खोलने का निर्णय किया है और इनमें से एक हैदराबाद में स्थापित किया जाएगा।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को संसदीय समिति को सूचित किया कि नोटबंदी के बाद वह ऑनलाइन भुगतान पर आने वाली लागत को कम करने पर काम कर रहा है। हालांकि, इस बैठक में कुछ समय के लिए उस समय बाधा आई जब नोटबंदी पर समिति के चेयरमैन के वी थॉमस के बयान का भाजपा सदस्यों ने विरोध किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल तथा डिप्टी गवर्नर आर. गांधी तथा केंद्रीय बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी आज संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष मौद्रिक नीति समीक्षा पर मौखिक सवाल जवाब के लिए पेश हुये। इस दौरान सदस्यों ने गवर्नर से ‘मौद्रिक नीति समीक्षा’ पर काफी सवाल पूछे। बैठक शुरू होने के साथ ही कांग्रेस सांसद थॉमस ने नोटबंदी पर बयान दिया, जिसका भाजपा सदस्यों भूपेंद्र यादव, किरीट सोमैया तथा निशिकान्त दुबे ने विरोध किया। रिजर्व बैंक कानून में 2016 में किये गये संशोधन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पटेल से जो भी सवाल पूछा जाए, वह केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के संबंध में होना चाहिए उसके बाहर नहीं। दुबे ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा रिजर्व बैंक कानून के तहत मौद्रिक नीति को व्यवहार में लाना और सरकार द्वारा 500 और 1,000 के बैंक नोटों को चलन से वापस लेने के कदम से अलग है। ये दोनों काम रिजर्व बैंक कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत आते हैं।’ लंबी बहस के बाद समिति में इस बात पर सहमति बनी कि नोटबंदी पर सवाल सिर्फ मौद्रिक नीति के परिप्रेक्ष्य में पूछे जाने चाहिए।

नई दिल्ली: नोटबंदी के 72 से अधिक दिन बीत जाने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि उसे चलन से हटाए गए नोटों की सही संख्या के बारे में अभी तक जानकारी नहीं है। उसने यह भी कहा है कि वह नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा कराए गए पुराने नोटों के आंकड़ों का अभी भी मिलान कर रहा है। संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष लिखित में केंद्रीय बैंक ने कहा है, चलन से कितने नोट बाहर किए गए हैं उनका आंकड़ा अभी तैयार किया जा रहा है। दिलचस्प यह है कि वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दो दिसंबर को संसद को लिखित जवाब में बताया था कि 8 नवंबर को कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये के 500 और 1000 के नोट चलन में थे। इनमें 1716.5 करोड़ 500 के नोट तथा 685.8 करोड़ 1000 के नोट हैं। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल तथा डिप्टी गवर्नर आर गांधी तथा केंद्रीय बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी आज वरिष्ठ कांग्रेस नेता केवी थॉमस की अगुवाई वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष मौद्रिक नीति समीक्षा पर मौखिक सवाल जवाब के लिए पेश हुए। सूत्रों ने बताया कि रिजर्व बैंक को कहा गया है कि वह 8 नवंबर के बाद बैंकों में जमा कराए गए पुराने नोटों का आंकड़ा तैयार करें। अपने जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा कि 50 दिन की नोटबंदी की अवधि में हजारों बैंक शाखाओं तथा डाक घरों में पुराने नोटों को बदला गया और जमा किया गया।

दावोस: वैश्वीकरण का लाभ केवल दुनिया के धनी लोगों को ही मिलने को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के सबसे धनी उद्योगपति मुकेश अंबानी ने खुली बाजार अर्थव्यवस्था का पक्ष लिया और कहा कि संपत्ति सृजन को रोका नहीं जाना चाहिये क्योंकि समाज में संपत्ति वितरण के लिये संपत्ति सृजन जरूरी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत चौथी औद्योगिक क्रांति और औद्योगिक नवप्रवर्तन के लिये तैयार है। खासतौर से ऐसे समय में, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे मजबूत नेता भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। हाल ही में नोटबंदी के कदम से यह साबित हो गया है और इस दौरान डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिला है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में यहां एक सत्र में भाग लेते हुये मुकेश अंबानी ने यह बात कही। इस अवसर पर उनके साथ इन्फोसिस के प्रमुख विशाल सिक्का भी मंच पर थे। सिक्का ने भी कहा कि नोटबंदी ने दुनिया को यह बता दिया है कि भारतीय नई प्रौद्योगिकी को अपनाने के लिये तैयार हैं। सिक्का ने इस मौके पर कहा, ‘जब हम चौथी औद्योगिक क्रांति, कृत्रिम आसूचना तंत्र और दूसरी तरफ की प्रौद्योगिकियों को अपनाने की बात करते हैं तो हमें इस बात को लेकर सतर्क रहना होगा कि इससे समाज में कोई बड़ा विभाजन नहीं हो।’ सिक्का से जब यह पूछा गया कि नई प्रौद्योगिकी को अपनाने से भारत में क्या सामाजिक स्तर पर गड़बड़ी का जोखिम है? इसके जवाब में सिक्का ने कहा कि भारत एक युवा देश है जो कि प्रौद्योगिकी के लिहाज से काफी आगे है इसलिये इसमें व्यापक अवसर उपलब्ध हैं।

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