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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को संसदीय समिति को सूचित किया कि नोटबंदी के बाद वह ऑनलाइन भुगतान पर आने वाली लागत को कम करने पर काम कर रहा है। हालांकि, इस बैठक में कुछ समय के लिए उस समय बाधा आई जब नोटबंदी पर समिति के चेयरमैन के वी थॉमस के बयान का भाजपा सदस्यों ने विरोध किया। रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल तथा डिप्टी गवर्नर आर. गांधी तथा केंद्रीय बैंक के अन्य वरिष्ठ अधिकारी आज संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष मौद्रिक नीति समीक्षा पर मौखिक सवाल जवाब के लिए पेश हुये। इस दौरान सदस्यों ने गवर्नर से ‘मौद्रिक नीति समीक्षा’ पर काफी सवाल पूछे। बैठक शुरू होने के साथ ही कांग्रेस सांसद थॉमस ने नोटबंदी पर बयान दिया, जिसका भाजपा सदस्यों भूपेंद्र यादव, किरीट सोमैया तथा निशिकान्त दुबे ने विरोध किया। रिजर्व बैंक कानून में 2016 में किये गये संशोधन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पटेल से जो भी सवाल पूछा जाए, वह केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के संबंध में होना चाहिए उसके बाहर नहीं। दुबे ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा रिजर्व बैंक कानून के तहत मौद्रिक नीति को व्यवहार में लाना और सरकार द्वारा 500 और 1,000 के बैंक नोटों को चलन से वापस लेने के कदम से अलग है। ये दोनों काम रिजर्व बैंक कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत आते हैं।’ लंबी बहस के बाद समिति में इस बात पर सहमति बनी कि नोटबंदी पर सवाल सिर्फ मौद्रिक नीति के परिप्रेक्ष्य में पूछे जाने चाहिए।

इसके बाद सवाल नकदीरहित लेनदेन की ओर स्थानांतरित हो गए। पटेल ने समिति को सूचित किया कि केंद्रीय बैंक नकदीरहित लेनदेन को ग्रामीण इलाकों तक पहुंचाने के लिए काम कर रहा है और गरीबों के लाभ के लिए नीतियां बना रहा है। समझा जाता है कि पटेल ने समिति के समक्ष कहा कि देश में नकदी के प्रवाह में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। पटेल ने बताया कि देश में नकदी प्रवाह की स्थिति काफी सुधर गई है। हालांकि, दूरदराज ग्रामीण इलाकों में कुछ समस्या है। सदस्यों को आश्वस्त किया गया कि वहां भी अगले कुछ सप्ताह में स्थिति सुधर जाएगी। नोटबंदी के वृद्धि पर असर के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि लघु अवधि में इसका कुछ असर होगा, लेकिन मध्यम से दीर्घावधि में यह अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगी। सदस्यों ने रिजर्व बैंक के गवर्नर से कई सवाल पूछे हैं। गवर्नर को इनका जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया गया। सूत्रों ने कहा कि सदस्यों को रिजर्व बैंक ने बताया कि बैंकों और भुगतान गेटवे सहित अन्य अंशधारकों के साथ एक ऐसी व्यवस्था पर काम किया जा रहा है जिससे सरकार की डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन की पहल के तहत लेनदेन की लागत को कम किया जा सके। बाद में पीएसी के चेयरमैन के वी थॉमस ने संवाददाताओं से कहा कि समिति की 10 फरवरी को फिर बैठक होगी जिसमें वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ इन मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि जरूरत होने पर रिजर्व बैंक के गवर्नर को 10 फरवरी के बाद फिर बुलाया जा सकता है। सदस्यों के सवालों पर रिजर्व बैंक ने कहा कि सरकार और केंद्र सरकार के बीच जनवरी, 2016 में बडे मूल्य के नोट बंद करने पर चर्चा शुरू हुई थी। करीब चार घंटे की बैठक के दौरान सदस्यों ने सहकारी बैंकों में जमा में जोरदार वृद्धि के बारे में भी सवाल पूछे और केंद्रीय बैंक से इन मुद्दे को देखने को कहा। रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर सरकार ने 8 नवंबर की मध्यरात्रि से 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद करने की घोषणा की थी। रिजर्व बैंक बोर्ड की इस बैठक में गवर्नर पटेल के अलावा दो डिप्टी गवर्नर (आर गांधी और एस एस मुंदड़ा), पांच निदेशक नचिकेत मोर, भारत एन दोषी, सुधीर मांकड़, शक्तिकान्त दास तथा अंजुली छिब दुग्गल उपस्थित थे। सूत्रों ने बताया कि एक अन्य निदेशक डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन बैठक में शामिल नहीं थे और वह रणनीतिक कारणों से मुंबई में रूके रहे, जिससे नोटबंदी के बाद बैंकरों को इसकी शुरूआती जानकारी दी जा सके। एक अन्य निदेशक नटराजन चंद्रशेखरन बैठक के समय विदेश में थे।

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