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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने भविष्य में मेट्रो परियोजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर तय किये गये मानकों के तहत ही मंजूरी देते हुये मेट्रो परिचालन में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाकर इसे किफायती बनाने पर जोर दिया है। इस बाबत केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मेट्रो नीति 2017 को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शहरी विकास मंत्रालय द्वारा देश भर के लिये प्रस्तावित एक समान मेट्रो नीति को मंजूरी दी गयी। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि देश भर में सार्वजनिक परिवहन के त्वरित साधनों के तहत मेट्रो रेल के तेजी से होने वाले विस्तार को देखते हुये नयी नीति में भविष्य की जरूरतों के मुताबिक मानक तय किये गये हैं। इनमें उन्ही महानगरों की मेट्रो परियोजनाओं को शहरी विकास मंत्रालय से मंजूरी मिलेगी जिनकी आबादी 20 लाख से अधिक हो। जेटली ने बताया कि नयी परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिये तीन मॉडल तय किये गये हैं। इसमें पहले मॉडल के तहत राज्य सरकार शत प्रतिशत व्यय स्वयं वहन कर सकती है।  दूसरा मॉडल केन्द्र और राज्य सरकार की आधी आधी भागीदारी से जुड़ा है और तीसरा मॉडल सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भागीदारी (पीपीपी) से जुड़ा है।

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने घाटे में चल रहे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का काम तेज करने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि अब तक 18-20 खस्ता हाल उपक्रमों को बंद करने का काम 'बहुत अच्छा रहा है।' गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस परामर्शदायी विशेषज्ञ निकाय को वित्तीय संकट से जूझ रहे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रामें को चलाने की व्यावहारिकता पर रपट देने का काम सौंपा है। अर्थशास्त्री पनगढ़िया आयोग की नौकरी से इस्तीफा देकर अध्यापन के लिए वापस अमरीका जा रहे हैं। वह अब 31 अगस्त तक इस पद पर है और उसके बाद अर्थशास्त्री राजीव कुमार यह पद संभालेंगे। पनगढ़िया ने कहा कि 18-20 उपक्रमों को बंद करने के काम में प्रगति ‘बहुत अच्छी रही है।’ पर उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने घाटे में चल रहे जिन 17 उपक्रमों के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूर किया है, दुर्भाग्य से उनका काम बहुत धीमा चल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इनमें कुछ में काम चल रहा है।

नई दिल्ली: भारत का सोने का आयात मौजूदा वित्त वर्ष की अप्रैल-जुलाई अवधि में दोगुने से भी अधिक होकर 13.35 अरब डॉलर हो गया। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सोने का आयात 2016-17 की अप्रैल-जुलाई अवधि में 4.97 अरब डॉलर रहा. सोने के आयात का देश के चालू खाते के घाटे (सीएडी) पर असर रहता है। इस साल जुलाई में सोने का आयात बढ़कर 2.10 अरब डॉलर हो गया जो कि गत वर्ष जुलाई महीने में 1.07 अरब डॉलर रहा था। सोने के आयात में बढ़ोतरी से जुलाई में व्यापार घाटा बढ़कर 11.44 अरब डॉलर हो गया, जो कि जुलाई 2016 में 7.76 अरब डॉलर रहा था। आयात में यह बढ़ोतरी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि दक्षिण कोरिया से कीमती धातु का आयात बढ़ रहा है। भारत ने दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौता 2010 में किया था। अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस देश से आयात में वृद्धि पर काबू पाने के लिए कदम उठाने पर विचार कर रही है।

नई दिल्‍ली: सार्वजनिक बैंकों का कहना है कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों कर्जदारों (विलफुल डिफाल्टरों) पर उनके बकाया कर्ज में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह इस साल मार्च के आखिर में कुल मिलाकर बढ़कर 92000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया। ऐसे कर्जदारों का बकाया ऋण वित्त वर्ष 2016-17 के आखिर में बढ़कर 92,376 करोड़ रुपये हो गया जो कि 20.4 प्रतिशत की सालाना बढ़ोतरी दिखाता है। यह कर्ज मार्च 2016 के आखिर में 76,685 करोड़ रुपये था। इसके साथ ही सालाना आधार पर ऐसे कर्जदारों की संख्या में लगभग 10 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों की संख्या मार्च के आखिर में 8,915 हो गई जो कि पूर्व वित्त वर्ष में 8167 रही थी। बैंकों ने जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने के 8915 मामलों में से 32,484 करोड़ रुपये के बकाया कर्ज वाले 1914 मामलों में प्राथमिकी एफआईआर दर्ज करवाई है। वित्त वर्ष 2016-17 में एसबीआई व इसके पांच सहयोगी बैंकों सहित 27 सार्वजनिक बैंकों ने 81,683 करोड़ रुपये को बट्टे खाते में डाला। यह बीते पांच साल में सबसे बड़ी राशि है

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