नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने घाटे में चल रहे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का काम तेज करने की जरूरत पर बल दिया है। उन्होंने कहा है कि अब तक 18-20 खस्ता हाल उपक्रमों को बंद करने का काम 'बहुत अच्छा रहा है।' गौरतलब है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस परामर्शदायी विशेषज्ञ निकाय को वित्तीय संकट से जूझ रहे केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रामें को चलाने की व्यावहारिकता पर रपट देने का काम सौंपा है। अर्थशास्त्री पनगढ़िया आयोग की नौकरी से इस्तीफा देकर अध्यापन के लिए वापस अमरीका जा रहे हैं। वह अब 31 अगस्त तक इस पद पर है और उसके बाद अर्थशास्त्री राजीव कुमार यह पद संभालेंगे। पनगढ़िया ने कहा कि 18-20 उपक्रमों को बंद करने के काम में प्रगति ‘बहुत अच्छी रही है।’ पर उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने घाटे में चल रहे जिन 17 उपक्रमों के निजीकरण के प्रस्ताव को मंजूर किया है, दुर्भाग्य से उनका काम बहुत धीमा चल रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इनमें कुछ में काम चल रहा है।
पनगढ़िया ने कहा , "बहुत से मामलों में काम शुरू हुआ है। सलाहकारों को अनुबंधित कर लिया गया है। इस तरह जिन उपक्रमों को निजीकरण के लिए चिह्नित किया गया है उनमें भी प्रगति हो रही है, पर प्रगति की रफ्तार धीमी है।’ सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 72,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 46,500 करोड़ रुपये उपक्रमों में सरकार की अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री से 15,000 चुनिदा भागीदारों को उपक्रम बेचने (निजीकरण) तथा 11,000 सरकारी बीमा कंपनियों के शेयरों की सूचीबद्धता के जरिए जुटाने का लक्ष्य है। पनगढ़िया की राय में सरकार श्रम कानूनों में सुधार को ले कर भी आगे बढना चाहती है। श्रम मंत्रालय चार श्रम संहिताएं तैयार कर रहा है इनके लागू होने से 40 विभिन्न श्रम कानूनों की जरूरत नहीं रह जाएगी। ये संहिताएं मजदूरी, श्रम-उद्योग संबंध, सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण तथा मजदूरों की सुरक्षा एवं कार्यस्थल की दशओं से संबंधित हैं।