नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई में शनिवार को हुई जीएसटी परिषद की बैठक में कपड़ा क्षेत्र को बड़ी राहत दी गई। बैठक में कपड़ा क्षेत्र से जुड़े जॉब वर्क की जीएसटी दर न्यूनतम कर देने से कपड़े सस्ते होने की राह खुली है। जीएसटी परिषद की बैठक में ट्रैक्टर के कलपुर्जो पर भी करों की दर घटाई गई है। इसका सीधा लाभ देश के कृषि क्षेत्र और किसानों को होगा। बैठक में ई-वे बिल पर भी फैसला किया गया। इसमें तय हुआ कि 50 हजार से ज्यादा मूल्य के सभी सामान पर पहले से पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा, बशर्ते कि वह विक्रय के लिए 10 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली माल एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की बैठक में कपड़ा क्षेत्र में सिलाई, बुनाई से लेकर कढ़ाई करने जैसे जॉब वर्क पर जीएसटी दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने का निर्णय किया गया। पांच प्रतिशत की यह दर परिधानों, शॉल और कालीन में किये गये जॉब वर्क पर भी लागू होगी। खेती में काम आने वाले विभिन्न उपकरणों को सस्ता करने के लिये परिषद ने ट्रैक्टर के कुछ कलपुर्जों पर भी जीएसटी दर को 28 प्रतिशत से टाकर 18 प्रतिशत करने पर सहमति जताई है।
इसके साथ ही सरकारी कार्य अनुबंधों में भी इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा के साथ 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जायेगा। जीएसटी परिषद की शनिवार को हुई 20वी बैठक के बाद जेटली ने बताया कि परिषद ने 50,000 रपये से अधिक राशि वाले सभी सामानों को दस किलोमीटर से अधिक दूरी पर ले जाने पर पहले ही आनलाइन पंजीकरण कराना होगा। परिषद ने 15 दिन के भीतर मुनाफाखोरी-रोधी उपायों और जांच समिति बनाने को भी सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी। जेटली ने बताया कि जीएसटी से छूट प्राप्त सामान को ई-वे बिल के दायरे से बाहर रखा गया है। ई-वे बिल के एक अक्टूबर से अमल में आने की संभावना है।