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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने लगभग 4 साल के कार्यकाल में कए बड़े आर्थिक रिफॉर्म किए हैं। इनमें से एक नोटबंदी भी है। मोदी सरकार नोटबंदी के बाद अब सिक्का बंदी की तैयारी में जुटी है। उल्लेखनीय है कि नोएडा, मुंबई, कोलकाता और हैदराबाद के सरकारी टकसालों में सिक्के का प्रोडक्शन बंद हो गया है। भारत सरकार की ओर से इन चार जगहों पर ही सिक्के बनाए जाते हैं।

इस बारे में आरबीआई के अधिकारियों ने बताते हुए कहा कि सिक्के का प्रोडक्शन मंगलवार से ही बंद हो गया था। सिक्का बंद करने के पीछे वजह बताई जा रही है कि नोटबंदी के बाद भारी मात्रा में सिक्के बनाए गए थे। ये सिक्के आरबीआई के स्टोर में काफी मात्रा में उपलब्ध हैं।

सूत्रों की मानें तो 8 जनवरी तक 2500 एमपीसीएस सिक्कों का स्टोरेज है और यही कारण है कि आरबीआई के अगले आदेश तक सिक्कों का प्रोडक्शन रोक दिया गया है।

नई दिल्ली: सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफिस (सीएसओ) की ओर से नए आंकड़ें जारी किए गए हैं और इन आंकड़ों के मुताबिक भारत दुनिया की एक ऐसी उभरती हुई अर्थव्यवस्था है जहां पर विकास दर बाकी देशों की तुलना में ज्यादा है। इन आंकड़ों के बाद विकास दर का अनुमान घटने को लेकर आलोचनाओं से घिरी मोदी सरकार को थोड़ी राहत मिली है।

सीएसओ, वर्ल्ड बैंक का ही हिस्सा है और वर्ल्ड बैंक की मानें तो ने कहा है कि इस महत्वाकांक्षी सरकार में हो रहे व्यापक सुधार उपायों के साथ भारत में दुनिया की दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकास की कहीं अधिक क्षमता है।

बुधवार को जारी हुए आंकड़ें

वर्ल्ड बैंक ने बुधवार को 2018 के लिए भारत की विकास दर के 7.3 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया है। यही नहीं, विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक भारत अगले दो सालों में 7.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ सकता है। वर्ल्ड बैंक ने 2018 ग्लोबल इकनॉमिक प्रॉस्पेक्ट रिलीज किया है।

नई दिल्ली: देश के अगले बजट को पेश करने की तैयारियों में जुटी केंद्र की मोदी सरकार के लिए सांख्यिकी संगठन की तरफ से चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) अनुमान में कटौती बड़ा झटका है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में देश की जीडीपी दर 7.1 फीसदी थी।

इससे पहले देश की जीडीपी 2013-14 में 6.4 फीसदी रही थी इस लिहाज से देखा जाए तो यह पिछले चार सालों के दौरान सबसे कमजोर ग्रोथ रेट होगी। मौजूदा आंकड़े किस तरह से आने वाले दिनों में सरकार के लिए चुनौती बनने जा रहे हैं, उसे इन दो अहम बिंदुओं के जरिए समझा जा सकता है. कमजोर जीडीपी अनुमान के आंकड़े आने के बाद अब अगले बजट में सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रोत्साहन उपायों को शामिल करने की होगी, ताकि ग्रोथ रेट को वापस पटरी पर लाया जा सके।

गौरतलब है कि कृषि, माइनिंग और कंस्ट्रक्शन के खराब प्रदर्शन के अलावा मोदी सरकार के दो बड़े सुधारों, नोटबंदी और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती नजर आ रही है।

नई दिल्ली: नए साल पर जनता को झटका लग सकता है क्योंकि पेट्रोल के रेट बढ़ सकते हैं। इंटरनैशनल मार्केट में क्रूड का दाम अढ़ाई साल के उच्च मूल्य पर पहुंच गया है। जुलाई 2015 में बने 11 साल के लो के मुकाबले डबल लेबल पर है। उस समय बड़ा इंपोर्टर होने के चलते भारत को सस्ते क्रूड से बड़ा फायदा हुआ था। अब दाम के साथ सरकार की फिक्र बढऩे लगी है।

इस समय ब्रेंट क्रूड 68.03 डॉलर प्रति बैरल पर मिल रहा है। अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच तेल 30 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया था। मौजूदा दर पर हर महीने 39,674 करोड़ रुपये ऑयल पर खर्च हो रहा है। क्रूड महंगा होने की वजह से यह बोझ लगातार बढ़ रहा है।

प्रोड्यूसर्स प्रॉडक्शन में कटौती का वचन बड़ी ईमानदारी से निभा रहे हैं। खासतौर पर खाड़ी देशों में जियोपॉलिटकल टेंशन बढ़ गई है। अमेरिका में बर्फीले मौसम के चलते हीटिंग के लिए डिमांड बढ़ी हुई है। फ्यूल पर खर्च बढऩे से सरकार को अन्य स्कीमों से खर्च घटना पड़ सकता है। महंगाई बढ़ सकती है और आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर होगा।

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