नई दिल्ली: नए साल पर जनता को झटका लग सकता है क्योंकि पेट्रोल के रेट बढ़ सकते हैं। इंटरनैशनल मार्केट में क्रूड का दाम अढ़ाई साल के उच्च मूल्य पर पहुंच गया है। जुलाई 2015 में बने 11 साल के लो के मुकाबले डबल लेबल पर है। उस समय बड़ा इंपोर्टर होने के चलते भारत को सस्ते क्रूड से बड़ा फायदा हुआ था। अब दाम के साथ सरकार की फिक्र बढऩे लगी है।
इस समय ब्रेंट क्रूड 68.03 डॉलर प्रति बैरल पर मिल रहा है। अप्रैल 2015 से मार्च 2016 के बीच तेल 30 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गया था। मौजूदा दर पर हर महीने 39,674 करोड़ रुपये ऑयल पर खर्च हो रहा है। क्रूड महंगा होने की वजह से यह बोझ लगातार बढ़ रहा है।
प्रोड्यूसर्स प्रॉडक्शन में कटौती का वचन बड़ी ईमानदारी से निभा रहे हैं। खासतौर पर खाड़ी देशों में जियोपॉलिटकल टेंशन बढ़ गई है। अमेरिका में बर्फीले मौसम के चलते हीटिंग के लिए डिमांड बढ़ी हुई है। फ्यूल पर खर्च बढऩे से सरकार को अन्य स्कीमों से खर्च घटना पड़ सकता है। महंगाई बढ़ सकती है और आम आदमी की जेब पर इसका सीधा असर होगा।
जनता में सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ सकती है, जबकि इस साल 8 राज्यों में चुनाव होने हैं। फॉरेन फंड फ्लो सुस्त होगा और शेयरों में गिरावट आ सकती है।