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झारखंड में पांच बजे तक 67.59% वोटिंग, महाराष्ट्र में 58.22% मतदान

ढाका: हिंसक छात्र आंदोलन के चलते गत पांच अगस्त को शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश अब इस्लामिक देश बनने की राह पर बढ़ता दिख रहा है। देश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने इसके लिए पैरवी की है। उन्होंने संविधान में बड़े बदलाव करने और धर्मनिरपेक्ष समेत कई प्रमुख शब्दों को हटाने का सुझाव दिया है।

90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम

उन्होंने कहा कि समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता उस देश की वास्तविक तस्वीर पेश नहीं करते, जहां 90 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। यूनाइटेड न्यूज आफ बांग्लादेश की खबर के अनुसार, असदुज्जमां ने समाजवाद, बंगाली राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्ष और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता की उपाधि देने जैसे प्रविधानों को हटाने का सुझाव दिया है। उन्होंने हाई कोर्ट में बांग्लादेश के 15वें संविधान संशोधन की वैधता पर चल रही सुनवाई के पांचवें दिन इस तरह की पैरवी की। उन्होंने मूल वाक्यांश को पुन: स्थापित करने की वकालत की, जिसमें अल्लाह पर अटूट विश्वास पर जोर दिया गया था।

कोलंबो: श्रीलंका में विधानसभा की 255 सीटों पर हुए आम चुनाव के लिए वोटिंग खत्म हो चुकी है। अब नतीजे भी आने शुरू हो गए हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की नेशनल पीपुल्स पावर पार्टी (एनपीपी) भारी जीत की ओर आगे बढ़ रही है। चुनाव आयोग के मुताबिक, शुरुआती रुझानों में डिसनायके की एनपीपी गठबंधन ने 63 फीसदी वोटों के साथ भारी बढ़त बना ली है। अब तक आधे से ज्यादा बैलेट्स की गिनती हो चुकी है। एनपीपी ने 113 सीटों पर जीत का अनुमान जताया है।

दिसानायके की ‘नेशनल पीपुल्स पावर' (एनपीपी) को अगर 225 सदस्यीय संसद पर कब्जा जमाना है, तो उनको कम से कम 113 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। एनपीपी का गठन 2019 में हुआ था। यह श्रीलंका की राजनीतिक में नया दल है। एनपीपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि इसके कई उम्मीदवार राजनीति में नए चेहरे हैं। उनका मुकाबला देश के अन्य पुराने दलों के उम्मीदवारों से हैं। राष्ट्रपति चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे साजिथ प्रेमदासा और उनकी पार्टी ‘यूनाइटेड पीपुल्स पावर' एनपीपी के मुख्य विरोधी हैं।

वाशिंगटन: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार के लिए मार्को रूबियो को विदेश मंत्री नियुक्त किया है। रूबियो रिपब्लिकन पार्टी से सीनेट के सदस्य हैं। उन्होंने विदेशी और खुफिया मामलों की संसदीय समितियों में लंबे समय तक कार्य किया है। ट्रंप ने उन्हें सहयोगी देशों का सच्चा मित्र और निडर योद्धा बताया है।

53 वर्षीय मार्को रूबियो को चीन के प्रति सख्त और इजरायल के प्रति नरम रुख वाला माना जाता है। हांगकांग में लोकतंत्र की मांग करने वाले आंदोलनकारियों के प्रति रूबियो के समर्थन को देखते हुए चीन ने 2020 में उन पर प्रतिबंध लगा दिया था। जाहिर है वह ट्रंप की अमेरिका फ‌र्स्ट की नीति को आगे बढ़ाएंगे।

ट्रंप ने महिला हिंदू नेता तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया विभाग का प्रमुख नियुक्त किया है। डेमोक्रेटिक पार्टी से चार बार सांसद रह चुकीं गबार्ड ने चुनाव के दौरान ट्रंप का खुलकर समर्थन किया था। गाजा युद्ध को लेकर रूबियो का रुख इजरायल के समर्थन वाला है।

वाशिंगटन: अमेरिका के नवनिर्वाचित 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने मंत्रिमंडल और सलाहकारों की नियुक्तियों में कई चौंकाने वाले फैसले कर रहे हैं। इनमें से एक प्रमुख फैसला है, उनके लंबे समय के सलाहकार स्टीफन मिलर को उनके प्रशासन में नीति उप प्रमुख के रूप में नियुक्त करना। मिलर इमिग्रेशन मामलों में अपनी कट्टरपंथी सोच और एच-1बी वीजा विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं, जिससे माना जा रहा है कि ट्रंप का यह कदम अमेरिका में कार्यरत भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिए नई चुनौतियां पैदा कर सकता है।

एच-1बी वीजा में भारतीय पेशेवरों के लिए संभावित बदलाव

मिलर का एच-1बी वीजा के प्रति सख्त रुख लंबे समय से रहा है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में उन्होंने अप्रवासी नीतियों पर कड़े फैसलों का समर्थन किया था। उनका यह नजरिया विशेष रूप से हाई-स्किल विदेशी प्रोफेशनल और इंटरनेशनल स्टूडेंट पर केंद्रित है, जो एच-1बी वीजा का इस्तेमाल करके अमेरिका में नौकरी पाने और हमेशा रहने के लिए करते हैं।

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