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नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच मध्य इराक में एक सैन्य अड्डे पर रात भर "बमबारी" की गई। रिपोर्टों के मुताबिक, इस सैन्‍य अड्डे में आर्मी के जवान और ईरान समर्थक अर्धसैनिक बल रहते थे। अमेरिकी सेना ने हमले में किसी भी भूमिका से इंकार किया है।

इराक के कैल्सो बेस पर हुए विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि आठ घायल हो गए। मीडिया ने इंटीरियर मिनिस्‍ट्री एक सैन्य अधिकारी के हवाले से बताया कि पूर्व ईरान समर्थक अर्धसैनिक समूह हशेद अल-शाबी बेस पर तैनात हैं।

आईएसआईएस से लड़ने के लिए गठित ज्यादातर शिया सशस्त्र समूहों के एक संगठन, हशद अल-शाबी के एक बयान में कहा गया है कि रात भर के हमले में काफी नुकसान हुआ है। यह अब इराक के सुरक्षाबलों का बेस है।

मीडिया ने मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से बताया कि विस्फोट से उपकरण, हथियार और वाहन प्रभावित हुए हैं। एक अनाम सैन्य अधिकारी ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि विस्फोट "उपकरण रखने वाले गोदामों" में हुए। हमले की जिम्मेदारी का अभी तक कोई दावा नहीं किया गया है।

पेरिस: किसी संदिग्ध व्यक्ति के विस्फोटक के साथ पेरिस में ईरानी वाणिज्य दूतावास में घुसने की रिपोर्ट मिलने के बाद दूतावास को घेर लिया गया गया है। एक समाचार एजेंसी ने यह खबर दी है। सुरक्षा से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, शुक्रवार को एक रिपोर्ट मिली कि पेरिस में ईरानी वाणिज्य दूतावास में कोई व्यक्ति विस्फोटक के साथ आया है। इसके बाद फ्रांस की पुलिस ने ईरान के वाणिज्य दूतावास को घेर लिया। मिशन के अनुरोध पर वह दूतावास में प्रवेश करने की तैयारी कर रही है।

विशिष्ट पुलिस इकाई की तैनात 

सूत्र ने कहा कि, "एक प्रत्यक्षदर्शी ने एक व्यक्ति को ग्रेनेड या विस्फोटक बेल्ट लेकर प्रवेश करते हुए देखा।" उन्होंने बताया कि वाणिज्य दूतावास की ओर से हस्तक्षेप का अनुरोध किए जाने के बाद वहां एक विशिष्ट पुलिस इकाई की तैनाती की गई है।

एजेंसी के एक पत्रकार ने कहा कि राजधानी के 16वें डिस्ट्रिक्ट में वाणिज्य दूतावास के आसपास के पूरे इलाके को बंद कर दिया गया है। मौके पर भारी पुलिस बल मौजूद है।

नई दिल्ली: दुनिया के कई देश जहां तेज गर्मी का सामना कर रहे हैं वहीं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ओमान और बहरीन में लोग भारी बारिश से परेशान हो गए। ये दुनिया के वो इलाके हैं, जो अपने सूखे रेगिस्तानों, चिलचिलाती गर्मी और चमचमाती इमारतों और वैभवपूर्ण ज़िंदगी र्के लिए जाने जाते हैं। इन देशों का मौसम साल भर लगभग गर्म ही रहता है और गर्मियों में तो बेहद गर्म हो जाता है। जहां आसमान में बादल देखने को आंखें तरस जाती हैं। इन्हीं इलाकों के ऊपर से मंगलवार को काले बादलों का काफ़िला जो निकला, तो इतना पानी अपने साथ लाया कि कुछ ही घंटे में यूएई के शानो शौकत भरे और ऊंची इमारतों वाले शहर दुबई तक को पानी में डुबा गया।

बारिश ने मचाया हाहाकार

तेल की दौलत से बने ईंट कंक्रीट के इस आधुनिक जंगल की सड़कों, गलियों से पानी ऐसे बहने लगा जैसे नदी बहती है। सड़कों पर चल रही बेशकीमती और आधुनिक गाड़ियां पानी में डूबने उतराने लगीं।दुबई में कुछ ही घंटों के अंदर इतना पानी बरस गया, जितना डेढ़ साल में बहता है।

नई दिल्ली: पाकिस्‍तान में आतंकवाद का दोषी करार दिए जाने के बाद सरबजीत सिंह ने लाहौर की कोट लखपत जेल में करीब 22 साल बिताए और फिर 2013 में कैदियों के हमले में उनकी जान चली गई थी। स्‍थानीय मीडिया ने बताया कि आज उनकी मौत के 11 साल बाद हमलावरों में से एक अमीर सरफराज तांबा की अज्ञात बाइक सवारों ने लाहौर में गोली मारकर हत्‍या कर दी। खबरों के मुताबिक तांबा कथित तौर पर लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का करीबी सहयोगी था।

सरबजीत की पाकिस्‍तान की जेल में कैदियों ने की थी हत्‍या

सरबजीत सिंह अटवाल का जन्म पंजाब के तरनतारन जिले में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर भिखीविंड में हुआ था। सरबजीत सिंह और उनकी पत्नी सुखप्रीत कौर की दो बेटियां थीं- स्‍वप्‍नदीप और पूनम कौर। बहन दलबीर कौर ने 1991 से 2013 में सरबजीत सिंह की मौत तक उनकी रिहाई के लिए लगातार कोशिश की।

1990 में लाहौर और फैसलाबाद में सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने उन पर मुकदमा चलाया गया था और दोषी ठहराया गया था, जिसमें 14 लोग मारे गए थे।

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