ताज़ा खबरें
पीएम मोदी के हाथ से धीरे-धीरे फिसल रहा लोकसभा चुनाव:राहुल गांधी
आंध्र में सीएम जगन मोहन और चंद्रबाबू नायडू के बीच कड़ा मुकाबला

भुवनेश्वर: भारत उन तीन भारतीय लोगों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए कनाडाई पुलिस का इंतजार करेगा। जिन्हें उसने पिछले साल एक खालिस्तानी आतंकवादी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को यह बयान दिया। एस. जयशंकर ने कहा कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मुद्दे पर कनाडा में जो कुछ भी हो रहा है, वो ज्यादातर वहां की आंतरिक राजनीति के कारण है और इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है। कनाडाई पुलिस ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में शुक्रवार को कहा कि वे जांच कर रहे हैं कि क्या संदिग्धों के भारत सरकार से संबंध थे?

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, एस. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने गिरफ़्तारियों की ख़बरें देखी हैं और कहा कि संदिग्ध "स्पष्ट रूप से किसी प्रकार की गिरोह पृष्ठभूमि के भारतीय हैं... हमें पुलिस के बताने का इंतज़ार करना होगा। लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, हमारी एक चिंता जो हम उन्हें बता रहे हैं... वह यह है कि आप जानते हैं, उन्होंने भारत से, विशेष रूप से पंजाब से, संगठित अपराध को कनाडा में संचालित करने की अनुमति दी है।"

ओटावा: कनाडा पुलिस ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में शुक्रवार को तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया। तीनों गिरफ्तार भारतीय नागरिक बताए जा रहे हैं। उनके नाम करण बरार (22), कमलप्रीत सिंह (22), करणप्रीत सिंह (28) हैं। ये तीनों करीब 3 से 5 साल से एडमॉन्टन, अल्बर्टा में रह रहे थे। ये जानकारी आरसीएमपी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दी।

कनाडा पुलिस का कहना है कि उन पर फर्स्ट डिग्री हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने कहा कि इस मामले की जांच के शुरू होने से पहले पुलिस को इन लोगों के बारे में नहीं पता था।

भारत पर फिर मढ़ा आरोप

कनाडा पुलिस का कहना है कि वह अब तीनों संदिग्धों की भारत सरकार से संभावित संबंधों की जांच कर रही है, हालांकि उन्होंने कोई और विवरण नहीं दिया। जांच कर रही टीम का कहना है कि कनाडा के रिश्ते भारत के साथ कई सालों "काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण" रहे हैं।

नई दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने उनकी कोरोना वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स की बात को स्वीकार किया है। फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने मरीजों की सेफ्टी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर से दोहराई।

बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है।

कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों को कंपनी स्वीकारा

यह पहली बार नहीं है जब एस्ट्राजेनेका ने अपने कोरोना वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों को स्वीकार किया है। ब्रिटेन की एक अदालत में फार्मा कंपनी के खिलाफ 100 मिलियन पाउंड के क्लास एक्शन मुकदमे से जुड़े मामले में कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वैक्सीन दुर्लभ मामलों में वास्तव में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की वजह बन सकती है।

कोलंबिया: इजरायल-हमास के बीच चल रहे युद्ध और गाजा में पैदा हो रहे मानवीय संकट से अमेरिका में तेजी से विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। इन विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए न्यूयॉर्क के कोलंबिया यूनिवर्सिटी परिसर में मंगलवार देर रात भारी पुलिस बल पहुंचा। ये जानकारी एएफपी के एक रिपोर्टर के हवाले से सामने आई है। पुलिस उस इमारत के सामने पहुंची, जहां फिलिस्तीनी समर्थक छात्र मौजूद थे।

रिपोर्टर ने बताया कि पुलिस ने जब वहां पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू किया, उस दौरान दर्जनों लोग न्यूयॉर्क शहर के मध्य में कोलंबिया परिसर में हैमिल्टन हॉल के आसपास जुटे हुए थे।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी परिसर में पुलिस का पहरा

साल 1960 और 70 के दशक में वियतनाम युद्ध के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद से ही अमेरिकी कॉलेज परिसरों में अशांति की शुरुआत हुई। इसकी वजह से न जाने कितने ही छात्रों और अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। सस्पेंशन और निष्कासन की धमकियों के बावजूद कई छात्र अपनी जिद पर अड़े हुए हैं।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख