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वाराणसी: वाराणसी में बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के हड़ताली रेजिडेंट डाक्टरों ने साथी की पिटाई के खिलाफ सोमवार की शाम कैंडल मार्च निकाला। बीएचयू परिसर से सिंह द्वार तक कैंडल मार्च निकाला गया। रविवार की दोपहर रेजिडेंट डाक्टर विकास को सुपर स्पेशलिटी वार्ड के पास बुरी तरह से पीटा गया था। आरोप है कि 30 अक्तूबर को एक मरीज के दाखिला के दौरान हुए विवाद के कारण यह हमला हुआ। हमले के आरोपितों की गिरफ्तारी तक हड़ताल जारी रखने का डाक्टरों ने आह्वान किया है। डाक्टरों ने आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग करने के साथ ही सेव द सेवियर का नारा बुलंद किया।

वहीं, डाक्टरों की हड़ताल से बीएचयू के अस्पताल में व्यवस्था चरमरा गई है। सीनियर डाक्टरों ने ओपीडी को संभालने की थोड़ी कोशिश की लेकिन भारी भीड़ के कारण अव्यवस्था बनी रही। सोमवार को सुबह करीब 9 बजे रेजीडेंट डॉक्टर लाउंज पर एकत्रित हुए। वहां पर उन्होंने सभा कर मारपीट की घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि जब तक इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं होगी वे काम पर नहीं लौटेंगे।

इसके बाद उन्होंने वहां से मार्च निकाला और ओपीडी की तरफ आए। वहां पर मरीजों को देख रहे वरिष्ठ डाक्टरों से अपील की कि वे उनका साथ दें। रेजीडेंट के दबाव पर कुछ सीनियर डाक्टरों ने भी जल्दी ही ओपीडी छोड़ दी। हालांकि उन्होंने हड़ताली डॉक्टरों को समझाने की कोशिश की। मगर सीनियर रेजीडेंट कार्य बहिष्कार पर अड़े हुए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि कई विभागों की ओपीडी में करीब ग्यारह बजे के बाद सीनियर डॉक्टर भी नजर नहीं आए। उनके कक्ष के बाहर मरीजों की भीड़ दिखी।

मरीजों के पर्चे कर दिए गए वापस

सोलह ओपीडी में से अधिकतर में मरीजों के जमा पर्चे वापस कर दिए गए। सीनियर डॉक्टरों का कहना था कि एक ओपीडी में औसतन चार सौ मरीज रोज देखे जाते हैं। एक डाक्टर सौ से अधिक मरीज नहीं देख सकता है। इससे अधिक मरीज देखना संभव नहीं है। रेजीडेंटों के न रहन से दबाव बढ़ गया है। इसलिए उन्हीं मरीजों को देखा जा रहा है, जिनकी तबीयत अधिक खराब थी।

दूसरी और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके माथुर का दावा है सभी ओपीडी खुली रहीं। सीनियर डाक्टरों ने व्यवस्था संभाल रखी है। रेजीडेंटों से बातचीत चल रही है। उनसे अनुरोध किया गया है कि वे काम पर वापस लौट आएं। मारपीट के आरोपियों को पुलिस तलाश रही है।

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