लखनऊ: वरिष्ठ शिया धर्मगुरु और इस्लामी विद्वान मौलाना कल्बे सादिक ने कहा है कि उनकी निजी राय है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले मुसलमानों को चाहिए कि वे अयोध्या के विवादित स्थल की जमीन हिन्दुओं को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दें। मौलाना कल्बे सादिक आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष भी हैं। हालांकि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के पक्षकारों की पैरोकारी करता रहा है। लखनऊ में एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि मुसलमानों को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि उनके लाख चाहने पर भी अब अयोध्या में विवादित स्थल पर नई मस्जिद नहीं बन सकती।
उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले मुम्बई के एक बड़े जलसे में भी वह कह चुके हैं कि हमेशा कुछ हासिल करके ही जीता नहीं जाता बल्कि कुछ देकर भी जीता जा सकता है। मौलाना कल्बे सादिक विश्व के प्रमुख इस्लामी विद्वानों में गिने जाते हैं। इन दिनों वह अस्वस्थ हैं और लखनऊ में एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।
मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के पक्ष में आता है तो मुसलमानों को चाहिए कि वे पूरी खामोशी के साथ फैसले को स्वीकार करें और हिन्दुओं को बधाई दें। अगर मुल्क की इस सबसे बड़ी अदालत में मुसलमानों को जीत मिलती है तो भी वे मस्जिद की जमीन खुशी-खुशी हिन्दुओं को सौंप दें।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इसलिए तरक्की नहीं कर सका क्योंकि वहां स्कूल कालेज कम खुले और मस्जिदें ज्यादा बनीं। मौलाना कल्बे सादिक आधुनिक विचारधारा के ऐसे विद्वान हैं जो कहते हैं कि ईद चांद देखकर नहीं बल्कि कैलेण्डर देखकर मनाई जानी चाहिए। हालांकि उनके ऐसे विचारों से तमाम मुस्लिम विद्वान और धर्मगुरु सहमत नहीं होते।
मौलाना कल्बे सादिक ने कहा कि अयोध्या की मस्जिद की जमीन हिन्दुओं को सौंपकर मुसलमान करोड़ों दिल जीत सकते हैं। उन्होंने मुसलमानों से कहा, ‘जब तक आप कुछ दें नहीं तो ले भी नहीं सकते। आप कुछ दीजिए तो आप कुछ लेने के भी अधिकारी रहेंगे। मैंने कहा था कि एक प्लाट अगर आप दे देंगे, एक मस्जिद आप दे देंगे जो आपके पास नहीं रह सकती है, पता है कि वह नहीं रह सकेगी आपके पास तो जो कल जाने वाली है वह आज खुशी खुशी दे दें तो एक मस्जिद से आप करोड़ों दिल जीत लेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘मैं मुसलमान भाइयों को राय दे रहा हूं...वह यह है कि अगर हिन्दू भाई जीत जाते हैं और भगवान करे कि जीत जाएं तो वे खुशी का जुलूस निकालने के लिए जो भी करेंगे तो मुसलमान कोई प्रतिक्रिया न करें। वे खामोश बैठे रहें बल्कि जाकर बधाई दें और जो भी कर सकते हैं, अपनी नेक ख्वाहिशात बताएं उनको। अगर मुसलमान जीत जाएं तो हरगिज कोई जुलूस-वुलूस न निकालें बल्कि हिन्दुओं के सामने झुक जाएं और अगर मुसलमान हार गए तो एक मस्जिद के हार जाने से मुसलमान नहीं हारते हैं।’