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एटा: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के महाव गांव में स्याना कोतवाली में सोमवार को गोकशी के बाद भड़की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत एक युवक की भी मौत हो गई। आज शहीद इंस्पेक्टर सुबोध सिंह का अंतिम संस्कार के लिए पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके पैतृक गांव पहुंचा। परिजन सुबोध के अंतिम संस्कार से पहले सरकार से आश्वासन चाहते हैं। जिसके चलते तनाव कायम है। हिंसा के बाद जहां एक तरफ शहीद इंस्पेक्टर के परिवार की मांग है कि दोषियों को सख्त सजा दी जाए। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद उनसे आकर मिलें और आश्वासन दें। उन्हें पैसे नहीं चाहिए।

वहीं दूसरी तरफ इस घटना पर सियासत भी शुरू हो गई है। यूपी के मंत्री राजभर ने आरोप लगाया है कि ये वीएचपी, आरएसएस और बजरंग दल की साजिश है। बजरंग दल नेता समेत चार गिरफ्तार मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को बताया, गौहत्‍या की अफवाह के बाद हिंसा भड़काने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने बताया, एसआईटी पूरे मामले की जांच कर रही है कि हिंसा क्यों भड़की थी और पुलिसकर्मी सुबोध कुमार सिंह को अकेला छोड़ कर पुलिस वाले क्यों भाग गए थे। एडीजी ने बताया, पुलिस ने 27 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। साथ में 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

उत्तर प्रदेश के मंत्री ओपी राजभर ने कहा कि बुलंदशहर में हिंसा, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), बजरंग दल और आरएसएस की सोची समझी साजिश है। अब पुलिस भाजपा के सदस्यों का नाम ले रही है। उन्होंने सवाल किया कि ये विरोध उसी दिन क्यों हुआ जब बुलंदशहर में मुस्लिमों का इ्ज्तेमा चल रहा था। इससे पहले बुलंदशहर से तिरंगे में लिपटा शहीद इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह का पार्थिव शरीर पूरे राजकीय सम्मान के साथ एटा जिले में उनके पैतृक गांव पहुंचा। गांव में सलामी से लेकर अंतिम संस्कार तक की तैयारी की गई थी। आसपास गांव की भीड़ जुटना शुरू हो गई है। सुधीर के अंतिम दर्शन के लिए सांसद, विधायक, डीएम, एसएसपी सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उनके गांव पहुंचे। अखबारों में जानकारी मिलने के बाद लोग घटनाक्रम पर चर्चा कर रहे हैं। आखिर उनके साथ के हमराह ऐसे हालात में क्यों भाग गए थे। जब वह अकेले रह गए थे तो पुलिस की टीम ने पीठ क्यों दिखा गई। जो घटनाक्रम हुआ उस में साथियों पूरा दोष माना जा रहा है। पुलिस द्वारा दी गई श्रद्धांजलि को लेकर इंस्पेक्टर सुबोध के परिजन नाराज हैं।

पुलिस लाइन में श्रद्धांजलि के दौरान अधिकारियों ने सुबोध कुमार के शव के ऊपर तिरंगा नहीं लगाया। इस बात को लेकर छोटे बेटे अभिषेक ने नाराजगी जताई है। सयाना कोतवाल की हत्या के बाद सुबोध कुमार के शव का एटा आने का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस लाइन में अधिकारी पहुंच गए हैं। गांव में सैकड़ों की संख्या में लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंच गए।

बुलंदशहर हिंसा में मारे गए सुबोध कुमार सिंह के चाचा ने आरोप लगाया कि वह गाड़ी में अकेले थे और उनका ड्राइवर सब बात जानता है। उन्होंने कहा, पुलिस मिली हुई है। उन्होंने कहा कि हमें 40 लाख रुपये की मदद नहीं लेंगे हम चाहते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ खुद हमसे मिलने आएं। चाचा ने बताया कि गांव में कल किसी के घर में चूल्हा नहीं जला है। मृतक सुबोध कुमार सिंह का बेटा अभिषेक पिता का साया उठ जाने से दुखी है। अभिषेक ने कहा, मेरे पिता मुझे एक अच्छा नागरिक बनाना चाहते थे। उनका कहना था​ कि धर्म के नाम पर कभी कोई लड़ाई-झगड़ा ना करे। आज हिंदू-मुसलमान के झगड़े में ही मेरे पिता की जान चली गई। कल किसके पिता की जान जाएगी? सुबोध कुमार की बहन ने कहा, मेरा भाई अख़लाक हत्या मामले की जांच कर रहे थे इसलिए उन्हें मारा गया। ये सब पुलिस की साजिश है। उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए, उनका स्मारक बनना चाहिए। हमें पैसा नहीं चाहिए।

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