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गुवाहाटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को गुवाहाटी में आयोजित झुमुर बिनंदिनी में कहा कि आज असम में यहां एक अद्भुत माहौल है। ऊर्जा से भरा माहौल है। उत्साह, उल्लास और उमंग से ये पूरा स्टेडियम गूंज रहा है। झूमर नृत्य के कलाकारों की तैयारी हर तरफ नजर आ रही है। इस तैयारी में चाय बागानों की सुगंध भी है और उनकी सुंदरता भी है। चाय की खुशबू और चाय के रंग को एक चाय वाले से ज्यादा कौन जानेगा?

हमने असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया: मोदी

पीएम मोदी ने कहा, मैं असम के काजीरंगा में रुकने वाला, दुनिया को उसकी जैव विविधता के बारे में बताने वाला पहला प्रधानमंत्री हूं। हमने कुछ ही महीने पहले असमिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा भी दिया है। असम के लोग अपनी भाषा के इस सम्मान का इंतजार दशकों से कर रहे थे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के गुवाहाटी पहुंचे, जहां उसका लोगों ने जोरदार स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनका स्वागत किया।

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, आज असम में यहां एक अद्भुत माहौल है। ऊर्जा से भरा माहौल है। उत्साह उल्लास और उमंग से ये पूरा स्टेडियम गूंज रहा है। झूमर नृत्य के कलाकारों की तैयारी हर तरफ नजर आ रही है। इस तैयारी में चाय बागानों की सुगंध भी है और उनकी सुंदरता भी है। चाय की खुशबू और चाय के रंग को एक चाय वाले से ज्यादा कौन जानेगा।

उल्लेखनीय है कि स्थानीय कलाकारों ने गुवाहाटी के सरुसजाई स्टेडियम में 'झुमोइर बिनंदिनी' कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत किया। असम सरकार ने असम चाय उद्योग के 200 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में यह कार्यक्रम आयोजित किया है, जिसमें राज्य भर के चाय बागान क्षेत्रों से 8600 कलाकार झुमोइर शानदार प्रस्तुति देकर सबका मन मोह किया।

चाय बागान जैसा आपका संबंध, वैसा ही मेरा भी

प्रधानमंत्री ने हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा, यहां हर दिशा में झुमर दिखाई दे रहा है। चाय बगान के साथ आपका जैसा संबंध है, मेरा भी वैसा ही संबंध है। इससे पहले 2023 में मैं असम आया था। तब 11,000 कलाकारों ने बिहू नृत्य का प्रदर्शन किया था। झुमुर की भव्यता के लिए असम सरकार और मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा, ऐसे भव्य आयोजनों ने असम की गरिमा बढ़ाई है। इस आयोजन ने भारत की विविधता को प्रदर्शित किया है। असम को महसूस करने के लिए आज दुनिया भर के राजदूत असम आए हैं।

'एक समय हुई असम की उपेक्षा'

प्रधानमंत्री ने कहा, एक समय था जब असम की उपेक्षा हो रही थी। यहां तक कि इसकी संस्कृति को भी नजरअंदाज किया गया था। अब मोदी के नेतृत्व में विकास हुआ है।' काजीरंगा की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, असम के लोगों ने असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिलने का इंतजार किया था। अब यह हो गया है। असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा और चराइदेव मइदम को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिला है। साथ ही लाचित बरफुकन का नाम विश्व में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, अब देशवासी लाचित बरफुकन को सलाम करते हैं। आदिवासी समाज की परंपराओं का सम्मान करने के लिए जनजातीय दिवस मनाया जाता है।

असम दौरे का अनुभव साझा करते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर तस्वीरें शेयर कर लिखा, 'मैं पूरे भारत के लोगों से झुमुइर और चाय जनजाति की असाधारण संस्कृति के बारे में अधिक जानने का आह्वान करता हूं।' उन्होंने कहा कि आज का कार्यक्रम इस दिशा में एक यादगार प्रयास के रूप में याद किया जाएगा।

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