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बेंगलुरु: बेंगलुरु के सीवी रमन रोड पर मैनहोल की मरम्मत करने गए तीन मजदूरों की सोमवार रात मौत हो गई। अब तक की जानकारी के मुताबिक़ रात तक़रीबन 11 बजे निजी कॉन्ट्रैक्टर्स इन मज़दूरों को लेकर वहां गए थे ताकि मैनहोल के अंदर हो रहे रिसाव को रोका जा सके। इन मज़दूरों को अंदर एक दीवार बनानी थी, लेकिन ऑक्सीजन की कमी की वजह से दम घुटने से इनकी मौत हो गई। साफ़ है कि सुरक्षा के जो इंतज़ाम किए जाने चाहिए थे, उसमें लापरवाही बरती गई। बेंगलुरु शहर के नगर विकास मंत्री के जे जॉर्ज और मेयर पद्मावती ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद जानकारी दी कि इस हादसे में मारे गए तीनों मज़दूरों के परिवार को पांच पांच लाख रुपये दिए जाएंगे साथ ही लापरवाही के लिए ज़िम्मेदार सभी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बेंगलुरु: आय से अधिक संपत्ति के मामले में जेल की सजा काट रही अन्नाद्रमुक महासचिव शशिकला को दस करोड़ रुपये की जुर्माना राशि के भुगतान में विफल रहने पर 13 माह और जेल में रहना पड़ सकता है। जेल अधीक्षक कृष्ण कुमार ने एक बयान में कहा कि शशिकला को 10 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि का भुगतान करना है और अगर वह उच्चतम न्यायालय की ओर से लगाए गए जुर्माने के भुगतान में विफल रहती हैं तो उनको और 13 माह जेल में काटने होंगे। अन्नाद्रमुक महासचिव फिलहाल परपन्ना अग्रहारा जेल में सजा काट रही हैं। उच्चतम न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में 14 फरवरी के अपने फैसले में शशिकला की दोषसिद्धि बरकरार रखी और उन्हें तथा उनके संबंधियों को चार चार साल कैद एवं दस दस करोड़ रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। शशिकला को निचली अदालत ने चार वर्ष जेल की सजा सुनाई थी और वह पहले ही 21 दिन की सजा काट चुकी हैं। ऐसे में वह अब तीन वर्ष 11 माह जेल में बिताएंगी। कुमार ने कहा कि जेल में दोषियों शशिकला, इलावरासी और सुधाकरन के साथ एक जैसा बर्ताव किया जा रहा है, किसी को भी विशेष सुविधा नहीं दी जा रही है। कुमार ने कहा कि सुरक्षा कारणों से शशिकला और इलावरासी को महिला ब्लॉक में रखा गया है और उन्हें छोटे कमरे में रखा गया है। उन्होंने बताया कि सुधाकरन को पुरुषों के ब्लॉक में रखा गया है।

बेंगलुरु: बेंगलुरु की बेल्लानदुर झील के आसपास बिखरे कचरे में आग लगाने के बाद अचानक आग भड़क गई। इससे झील के ऊपर धुएं का गुबार छा गया। हालांकि दो घंटे में आग को बुझा लिया गया। इस मामले को लेकर पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं। कर्नाटक दमकल विभाग में उपनिदेशक केयू रमेश ने बताया कि आग लगाए जाने के बाद झील के चारों ओर धुआं फैलने से वहां के निवासी और मोटरवाहन चालक भयभीत हो गए। इस घटना के बाद वहां के निवासियों ने बृहम बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के अधिकारियों पर बरसते हुए कचरा निपटारे के इस चिंताजनक तरीके पर रोक लगाने की मांग की। कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मण ने बताया कि बीबीएमपी, बेंगलुरु जल आपूर्ति एवं सीवेज बोर्ड और अन्य एजेंसियों को कचरे का इस तरह से निपटारा करने से रोकने के लिये नोटिस जारी किया गया है। बेंगलुरु में बेल्लानदुर झील के आसपास जमा कूड़े के ढेर में लगी आग के मामले में पर्यावरण मंत्रालय ने जांच के आदेश दिए हैं। पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने कहा, हम इसकी जांच कर रहे हैं।

बेंगलुरू: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों के लंबित रहने का ठीकरा सरकार पर नहीं फोड़ा जा सकता, क्योंकि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) न्यायपालिका को भेजा जा चुका है। अंग्रेजी अखबार ‘दि हिंदू’ की ओर से आयोजित विचार गोष्ठी ‘दि हडल’ के पहले संस्करण में न्यायाधीशों के चयन में दखलंदाजी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रसाद ने कहा कि यह गलत धारणा है, क्योंकि भाजपा के सदस्य न्यायपालिका की आजादी के लिए जेल तक जा चुके हैं। प्रसाद ने कहा, ‘कृपया यह गलतफहमी दूर कर लें, हम (हमारी पार्टी) न्यायपालिका की आजादी के लिए जेल गए थे। बहरहाल, उच्चतम न्यायालय ने खुद ही कहा है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की मौजूदा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। हम उस दिशा में काम कर रहे हैं। 1950 और 1960 के दशक के न्यायाधीश बहुत अच्छे होते थे।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस मान्यता को भी चुनौती दिए जाने की जरूरत है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के चुनाव में तो अहम भूमिका निभा सकता है, लेकिन न्यायाधीशों के चयन में नहीं। प्रसाद ने कहा कि कोलेजियम व्यवस्था की शुरूआत से पहले भारत ने न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर, हिदायतुल्ला, गजेंद्र गडकर और पतंजलि शास्त्री जैसे क्षमतावान न्यायाधीश दिए।

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