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नई दिल्ली: कर्नाटक में 114 फीट ऊंची ईसा मसीह की प्रतिमा के निर्माण के लिए कांग्रेस नेता डी शिवकुमार द्वारा धन देने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। सत्तारूढ़ भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की नीति करार दिया और राज्य सरकार ने अधिकारियों से परियोजना के लिए निर्धारित जमीन पर रिपोर्ट मांगी है। राज्य के राजस्व मंत्री आर अशोका ने कहा कि जिस जमीन के बारे में कहा गया है कि प्रतिमा निर्माण के लिए खरीदी गयी है, वह जमीन शिवकुमार की नहीं है और वह सरकार की गोमला भूमि (चरागाह के तौर पर इस्तेमाल होने वाली सामुदायिक जमीन) है। उन्होंने कहा कि उन्होंने जमीन को लेकर रिपोर्ट मांगी है।

कनकपुरा में हरोबेले के ईसाई बहुल गांव कपालीबेट्टा में 13 फुट ऊंची पीठिका पर 101 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव है। कनकपुरा शिवकुमार का विधानसभा क्षेत्र है। कनकपुरा यहां से 80 किलोमीटर दूर है। शिवकुमार के कार्यालय ने बताया कि उन्होंने अपने फंड से कपालीबेट्टा में न्यास के लिए सरकार से 10 एकड़ जमीन खरीदी थी। यह न्यास ही इस प्रतिमा का निर्माण करवा रहा है।

बंगलूरू: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से सीख लेते हुए कर्नाटक की बीएस येदियुरप्पा सरकार अब प्रदर्शनकारियों से सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई करेगी। कर्नाटक में 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ मंगलूरू में प्रदर्शन हुए थे। जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी। राजस्व मंत्री आर अशोक ने गुरुवार को कहा कि सरकार जल्द ही इसपर फैसला लेगी। एक भीड़ बेकाबू हो गई और उसने मंगलूरू उत्तरी पुलिस स्टेशन में हथियारों की लूट शूरू कर दी। जिसके बाद मजबूरन पुलिस को गोली चलानी पड़ी। इसमें दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई थी। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का एलान किया है।

उत्तर प्रदेश अभी तक अकेला ऐसा राज्य है जिसने प्रदर्शनकारियों को नोटिस भेजकर रिकवरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यूपी सरकार ने लगभग 130 लोगों को नोटिस जारी किए हैं जिन्हें 50 लाख रुपये अदा करने को कहा गया है। यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी संपत्ति को कुर्क कर दिया जाएगा।

बेंगलुरू: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच कर्नाटक में राज्य का पहला डिटेंशन सेंटर बेंगलुरू से 30 किलोमीटर दूर सोंडेकोप्पा गांव में खुल गया है। इस विदेशी डिटेंशन सेंटर में वीजा से ज्यादा समय तक रुके पर्यटकों या अवैध विदेशियों को रखा जाएगा। सोंडेकोप्पा डिटेंशन सेंटर में कई कमरे, किचन, वाशरूम वगैरह हैं जिसमें एक साथ 30 लोगों को रखा जा सकता है। डिटेंशन सेंटर की सुरक्षा में दस पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं। राज्य के डिप्टी सीएम जी करजोल ने कहा है कि इसका नाम विदेशी डिटेंशन सेंटर है और राज्य के गृह विभाग का काम है कि वो अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें यहां भेजे।

गृहमंत्री बसावराज बोम्मई ने हालांकि इसे डिटेंशन सेंटर कहने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी को नागरिकता के मुद्दे पर डिटेन करने का कोई मकसद नहीं है। बोम्मई ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ये चालू हो गया है क्योंकि अगर ये चालू होता तो उसमें कोई तो रखा जाता। बोम्मई के मुताबिक समाज कल्याण विभाग ने ये सेंटर इसलिए बनाया है ताकि वीजा से ज्यादा समय तक रुके या ड्रग्स कारोबार में पकड़े जाने वाले अफ्रीकी नागरिकों को यहां रखा जा सके और प्रक्रिया के तहत उनके देश वापस भेजा सके।

मंगलुरु: कनार्टक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मंगलुरु में पुलिस की गोलीबारी के दो पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने के अपने आदेश को पलट दिया है। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि 19 दिसम्बर को मेंगलुरु में हुई हिंसा में पुलिस की गोली लगने से मारे गये लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं देने का फैसला किया गया है। क्योंकि दोनों पीड़ित आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे है और ऐसे लोगों को मुआवजा दिये जाने की कोई परिपाटी नहीं है।

उन्होंने कहा, “मुआवजे के भुगतान का फैसला राज्य सरकार द्वारा निर्देशित सीआईडी और मजिस्ट्रेट जांच के पूरा होने के बाद ही लिया जाएगा।” पुलिस की गोलीबारी के पीड़ितों के परिजनों को क्षतिपूर्ति के भुगतान के अपने वादे पर वापस जाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि दंगों की घटना में दो लोग मारे गये है। उन्होंने कहा, “जो लोग आपराधिक आरोप का सामना कर रहे हो, उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है।” इससे पहले सीएम येदियुरप्पा ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर की वर्तमान स्थिति की जानकारी ली। बैठक में राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई उपस्थित थे।

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