बेंगलुरू: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच कर्नाटक में राज्य का पहला डिटेंशन सेंटर बेंगलुरू से 30 किलोमीटर दूर सोंडेकोप्पा गांव में खुल गया है। इस विदेशी डिटेंशन सेंटर में वीजा से ज्यादा समय तक रुके पर्यटकों या अवैध विदेशियों को रखा जाएगा। सोंडेकोप्पा डिटेंशन सेंटर में कई कमरे, किचन, वाशरूम वगैरह हैं जिसमें एक साथ 30 लोगों को रखा जा सकता है। डिटेंशन सेंटर की सुरक्षा में दस पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं। राज्य के डिप्टी सीएम जी करजोल ने कहा है कि इसका नाम विदेशी डिटेंशन सेंटर है और राज्य के गृह विभाग का काम है कि वो अवैध प्रवासियों की पहचान करके उन्हें यहां भेजे।
गृहमंत्री बसावराज बोम्मई ने हालांकि इसे डिटेंशन सेंटर कहने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि किसी को नागरिकता के मुद्दे पर डिटेन करने का कोई मकसद नहीं है। बोम्मई ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ये चालू हो गया है क्योंकि अगर ये चालू होता तो उसमें कोई तो रखा जाता। बोम्मई के मुताबिक समाज कल्याण विभाग ने ये सेंटर इसलिए बनाया है ताकि वीजा से ज्यादा समय तक रुके या ड्रग्स कारोबार में पकड़े जाने वाले अफ्रीकी नागरिकों को यहां रखा जा सके और प्रक्रिया के तहत उनके देश वापस भेजा सके।
सेंटर को लेकर डिप्टी सीएम और गृह मंत्री के विरोधाभासी बयान के अलावा भी बहुत चीजें साफ नहीं हैं।
समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने इस डिटेंशन सेंटर को लेकर कहा कि उन्हें 1 जनवरी से पहले सेंट्रल रिलीफ सेंटर तैयार करने को कहा गया है। 20 साल पुराना ये मकान करीब 18 साल से गरीब बच्चों का हॉस्टल था लेकिन धीरे-धीरे संख्या कम होती गई और दो साल से ये खाली था। कर्नाटक से पहले असम में एक बड़ा डिटेंशन सेंटर लगभग बनकर तैयार है जिसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर विवाद हो गया था जिसमें पीएम ने कहा था कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बन रहा है।