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हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को केंद्र से कश्मीर में गतिरोध खत्म करने के लिए सभी पक्षों से बातचीत शुरू करने का अनुरोध किया। ओवैसी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि कश्मीर में स्थिति इतनी बदतर हो गयी है कि सत्तारूढ़ पीडीपी और विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस के साथ ही हुर्रियत जैसे संगठनों का आधार खो चुका है और आखिरकार सरकार को शांति बहाली के लिए कोई नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘पिछले 50 दिनों से कर्फ्यू चल रहा है। कश्मीर में लोग मारे जा रहे हैं। सुरक्षाकर्मी भी मारे गए हैं। मैंने कुछ विशेषज्ञों के साक्षात्कार देखे हैं। पीडीपी और नेकां ने अपना राजनीतिक आधार खो दिया है। रॉ प्रमुख ने कहा है कि दक्षिण कश्मीर एक सीमित जोन बन चुका है।’ हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ने कहा, ‘हुर्रियत वहां जमीन खो चुका है। तो फिर किसके साथ हमें वार्ता शुरू करनी चाहिए? हम अनिश्चितता में फंसे हुए हैं। इसलिए सरकार को वार्ता शुरू करनी चाहिए।’

हैदराबाद: उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन संतोष हेगड़े ने बेंगलुरू में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आयोजन में हुए एक कार्यक्रम के दौरान कथित भारत विरोधी नारे लगाए जाने के चलते संगठन के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाए जाने को उचित ठहराया है और साथ ही उन्होंने गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल यह कहकर अपनी जिम्मेदारियों ‘‘भाग’’ नहीं सकती कि उसके किसी कर्मचारियों ने ये नारे नहीं लगाए। भारत के पूर्व ‘सॉलिसिटर जनरल’ रह चुके हेगड़े ने कहा, ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल की जिम्मेदारी क्या है? उन्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि जब आप ऐसे लोगों को लेकर आते हैं और उन्हें कुछ भी कहने की मंजूरी देते हैं, (और) फिर यह कहते हैं कि मैं इसके लिए जिम्मेदार नहीं हूं। नहीं, आपने ही उनके लिए यह मंच मुहैया कराया.. आप भी इस अपराध के भागी हैं। आप इससे भाग नहीं सकते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आजादी (कश्मीर की) के समर्थन में नारे लगाना देशद्रोह है। मेरे मुताबिक तो यह देशद्रोह है।’ उन्होंने कहा, ‘अब आईए इस संस्थान (एमनेस्टी) की विश्वसनीयता पर आते हैं। जब सैनिक मारे जाते हैं तब एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या करती है? जब इस देश में अन्य आतंकवादी गतिविधियां होती हैं तब एमनेस्टी इंटरनेशनल क्या करती है? क्या उन्होंने तब इस तरह की किसी बैठक का आयोजन किया है? आप बस थोड़ी सा प्रचार चाहते हैं और जब यह दांव उल्टा पड़ता है तो आप भाग खड़े होते हैं।’

हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि उन्हें गोरक्षा पर अपने बयानों को कार्य रूप में परिणत करना चाहिए. ओवैसी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान में देरी पर सवाल उठाया और कहा कि सिर्फ कुछ शब्द काफी नहीं होंगे. मोदी को दलितों और मुसलमानों में असुरक्षा के भाव को हटाना पड़ेगा. प्रधानमंत्री ने शनिवार को गौरक्षकों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि असामाजिक तत्व गौरक्षकों का मुखौटा लगाए हुए हैं. ओवैसी ने कहा कि इन घटनाओं से जुड़ी सभी गौरक्षक समितियां संघ परिवार से जुड़ी हुई हैं. प्रधानमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'सवाल यह है कि क्या ये महज कुछ शब्द हैं. प्रधानमंत्री को राज्यों में अपने ही लोगों, अपनी पार्टी और भाजपा सरकारों पर लगाम लगानी होगी.' ज ओवैसी ने यह भी कहा कि मोदी को 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान अपने गुलाबी क्रांति के बारे में दिए भाषणों पर दोबारा गौर करना चाहिए. ओवैसी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि उन्हें इस मुद्दे पर बोलने में इतना समय क्यों लगा. ओवैसी ने कहा, 'जब अखलाक को मारा गया, प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा. झारखंड में दो मुसलमानों को मारने की घटना पर भी वह चुप रहे. जम्मू के एक ट्रक चालक की मौत की खबर पर भी प्रधानमंत्री चुप रहे.' उन्होंने कहा कि गुजरात के उना में दलितों पर उत्पीड़न का वीडियो देश के घर-घर तक पहुंच गया है, इसलिए प्रधानमंत्री को मजबूरन बोलना पड़ा है.

हैदराबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों पर हमले और इसको लेकर राजनीति बंद करने की अपील करते हुए रविवार को कहा, 'आप गोली मारना चाहते हैं तो मुझे मार दीजिए।' भावुक अपील करते हुए पीएम मोदी ने लोगों से कहा कि वे दलितों की रक्षा और सम्मान करें, क्योंकि इस वर्ग की समाज द्वारा लंबे समय से उपेक्षा की गई है। उन्होंने हैदराबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, 'मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको कोई समस्या है, अगर आपको हमला करना है तो मुझ पर हमला करिए, मेरे दलित भाइयों पर हमला बंद करिए। अगर आपको गोली मारनी है, तो मुझे गोली मारिए, लेकिन मेरे दलित भाइयों को नहीं, यह खेल बंद होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर देश को प्रगति करनी है, तो शांति, एकता और सद्भाव के मुख्य मंत्र की उपेक्षा नहीं की जा सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'देश के विकास का मुख्य स्रोत देश की एकता है।' उनका यह बयान उस वक्त आया है, जब देश के कई हिस्सों में तथाकथित गौरक्षकों की ओर से दलितों और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा करने को लेकर एनडीए सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है। पीएम मोदी ने कहा कि कुछ 'घटनाएं' संज्ञान में आती हैं तो बहुत दुख होता है। उन्होंने कहा, 'दलितों की रक्षा करना और उनका सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी होनी चाहिए।' मोदी ने कहा कि समाज को जाति, धर्म और सामाजिक हैसियत के आधार पर बंटने नहीं देना चाहिए।

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