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कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खड़गे-श्रीनेत को भेजा कानूनी नोटिस

हैदराबाद: साल 2007 में हैदराबाद की मक्का मस्जिद में हुए धमाके के मामले में स्‍वामी असीमानंद को जमानत मिल गई है। इस तरह अब असीमानंद की जेल से रिहाई का रास्‍ता साफ हो गया है। फिलहाल वह जयपुर जेल में बंद हैं। हाल ही में असीमानंद अजमेर ब्लास्ट केस में बरी हुए हैं और मालेगांव तथा समझौता केस में पहले ही उन्‍हें जमानत मिल चुकी है। अदालत ने इस मामले में तीन अन्य लोगों की जमानत पहले ही मंजूर कर चुकी है। चतुर्थ मेट्रोपोलिटन सत्र न्यायाधीश की अदालत ने भरत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भरत भाई की जमानत भी मंजूर कर ली। वह मामले में एक सह आरोपी है। विशेष न्यायाधीश रवींदर रेड्डी ने असीमानंद और रत्नेश्वर की जमानत मंजूर की और उन्हें 50- 50 हजार रुपये का दो जमानत भरने का भी निर्देश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि असीमानंद अदालत की इजाजत के बगैर हैदराबाद से बाहर नहीं जाएंगे और जरूरत पड़ने पर मुकदमे की सुनवाई के लिए उपस्थित रहेंगे. गौरतलब है कि स्वामी असीमानंद का असली नाम नाबा कुमार सरकार है जिसे 19 नवंबर 2010 को हरिद्वार से यहां मक्का मस्जिद विस्फोट मामले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था. यह घटना 18 मई 2007 की है। इसमें नौ लोग मारे गए थे। हालांकि, इस साल आठ मार्च को असीमानंद और छह अन्य को 2007 के अजमेर विस्फोट मामले में जयपुर की एक अदालत ने बरी कर दिया था।

हैदराबाद: केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने आज (शनिवार) कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा ने किसानों के लिये कर्ज माफी की जिस योजना का आश्वासन दिया था वह केंद्र सरकार की कोई राष्ट्रीय नीति नहीं बल्कि विशिष्ट राज्य आधारित थी। उन्होंने कहा, ‘चुनाव प्रचार (उत्तर प्रदेश चुनाव) के दौरान भाजपा नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के किसानों के लिये फसल कर्ज माफी का जो आश्वासन दिया था, वह विशिष्ट राज्य आधारित था। सरकार गठन (उत्तर प्रदेश में) होते ही वह निश्चित ही सकारात्मक रूप से इस दिशा में विचार करेंगे और इसे लागू करने की कोशिश करेंगे।’ लोकसभा में इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने के विपक्ष के प्रयासों के बीच नायडू ने बताया, ‘सरकार की यह राष्ट्रीय नीति नहीं है। यह राज्य विशिष्ट है।’ उत्तर प्रदेश चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के लिये कर्ज माफी का वादा किये जाने पर हाल में निचले सदन में चर्चा के दौरान कई दलों के सदस्यों ने इस पर आपत्ति जतायी थी और यह मांग की थी कि किसानों की आत्महत्या की संख्या में कमी लाने के लिये सरकार को समूचे देश के किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए। कुछ अन्य राज्यों से भी इसी तरह की कर्ज माफी की मांगों का हवाला देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘यह (कर्ज माफी) संसाधन और राज्यों की वित्तीय व्यवहार्यता पर निर्भर करता है। वे (राज्य) खुद फैसला लेने के लिये स्वतंत्र हैं।’

हैदराबाद: हैदराबाद पुलिस ने मंगलवार (14 मार्च) को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जो कि कथित तौर पर 9.9 लाख रुपए के जाली नोट बैंक में जमा कराने आया था। 500 और 2000 के इन जाली नोटों पर 'चिल्ड्रेन बैंक ऑफ इंडिया' नाम अंकित था। हैदराबाद में कुशाईगुडा पुलिस ने यूसुफ शाइक नाम के एक व्यक्ति को मौला-अली इलाके से गिरफ्तार किया है। जिसे इलाहाबाद बैंक के एक कर्मचारी ने उस वक्त पकड़ा जब वो 2000 और 500 रुपए के नकली नोटों को बेंक में जमा करने की कोशिश कर रहा था। बीते सप्ताह 'चिल्ड्रेन बैंक ऑफ इंडिया' के नाम वाले 2000 रुपए के नकली नोट दिल्ली और उत्तर प्रदेश के एटीम से निकलने की खबरें आई थीं। पुलिस के अनुसार, यूसुफ शाइक कथित तौर पर राधिका थिएटर के नजदीक एएस राव नगर स्थित इलाहाबाद शाखा मे पहुंचा। बैंक जैसे ही 10:30 बजे सुबह खुला उसने (यूसुफ) तुरंत ही नोटों की कुछ गड्डियां कैशियर को अपने बचत खाते में जमा कराने के लिए दे दीं। पुलिस ने बताया कि इन नोटों में 400 नए नोट 2000 रुपए के थे। जबकि 380 नए नोट 500 रुपए थे, जिनका कुल मूल्य 9.90 लाख रुपए है। पुलिस के मुताबिक, कैशियर ने तुरंत उन नकली नोटों को नहीं पहचाना क्योंकि वे असली नोटों की तरह नज़र आ रहे थे। हालांकि, नोटों को गिनने के दौरान वे उस वक्त आश्चर्य में पड़ गए जब उन्होंने उसपर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बदले 'चिल्ड्रेन बैंक ऑफ इंडिया' लिखा देखा।

हैदराबाद: तेलंगाना सरकार ने सामाजिक कल्याण आवासीय महिला कॉलेजों में एडमिशन के लिए एक अजीबोगरीब फरमान जारी किया है, जिसके तहत उन कॉलेजों में केवल कुंवारी लड़कियों को ही एडमिशन मिल सकता है। इस नियम के पीछे सरकार की दलील है कि शादीशुदा युवतियों के कॉलेजों में होने से कुंवारी लड़कियों का ध्यान भटक सकता है। शादीशुदा युवतियों के एडमिशन पर पाबंदी वाले इस फरमान पर तेलंगाना सामाजिक कल्याण आवासीय शिक्षण संस्थान सोसायटी के एक अधिकारी बी वेंकट राजू का कहना है कि इस नियम के पीछे का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अन्य लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से न भटके क्योंकि शादीशुदा युवतियों के पतियों की सप्ताह में एक बार या 15 दिन में एक बार उनसे मिलने कॉलेज आने की पूरी संभावना है। स्टूडेंट्स में किसी भी तरह का भटकाव वे नहीं चाहते हैं। सोसायटी ने हाल ही में साल 2017-18 के लिए नामांकन संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया है। उसमें कहा गया है कि बीए, बीकॉम और बीएससी में प्रथम वर्ष के लिए (अविवाहित) लड़कियों के लिए आवेदन आमंत्रित किया जाता है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार, सोसायटी के सचिव डॉ आर एस प्रवीण कुमार का कहना है कि इन कॉलेजों की स्थापना का उद्देश्य बाल विवाह के दुष्चक्र को तोड़ना है।

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