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कोलकाता: दक्षिणी कोलकाता के एक होटल में देर रात आग लग जाने पर कम से कम दो लोगों की मौत हो गई।होटल में रह रहे अनूप अग्रवाल और जुगलकिशोर गुप्ता इस घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आग देर रात लगभग तीन बजे लगी। होटल के कर्मचारियों समेत 30 लोगों को बचाया गया है। मौके पर पहुंची दमकल की नौ गाड़ियों को आग बुझाने में तीन घंटे लगे। अधिकारी ने कहा कि दमकल कर्मियों और आपदा प्रबंधन कर्मियों को होटल में भर चुके धुंए को निकालने के लिए खिड़कियों के शीशे तोड़ने पड़े। उन्होंने कहा कि आग संभवत: रसोई से भूतल की ओर फैली। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को सीढ़ियां लगाकर बाहर निकाला गया जबकि अन्य को बचावकर्मियों ने बाहर निकलने का रास्ता दिखाया। अधिकारी ने बताया, ‘होटल के मेहमानों के अलावा कर्मचारी अंदर फंसे हुए थे. सात लोगों में से दो लोग गंभीर रूप से घायल थे, उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई ।’
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नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट का वह आदेश बरकरार रखा जिसमें सीबीआई से नारद स्टिंग मामले की जांच करने को कहा गया था। इस मामले में पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के कई नेता कथित तौर पर पैसे लेते हुए कैमरे में कैद किए गए थे। ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के 17 मार्च के आदेश के खिलाफ दायर एक अलग अपील में बताए गए आधारों को शीर्ष न्यायालय ने ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’करार देते हुए कहा कि याचिका ‘सिरे से खारिज’ करने लायक है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट के निष्कर्षों में उसे कोई विसंगति नजर नहीं आती। बहरहाल, पीठ ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई को दिए गए 72 घंटे की मोहलत को बढ़ाकर एक महीना कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘हमने आदेश का अध्ययन किया, जिसमें यह उभरकर सामने आया कि हाई कोर्ट ने ऐसी सामग्रियों पर विचार किया जिनमें सीबीआई की ओर से प्रारंभिक जांच (पीई) करने की जरूरत थी। ’पीठ ने कहा, ‘हमें हाई कोर्ट के निष्कर्षों में कोई विसंगति नजर नहीं आती, क्योंकि याचिकाकर्ताओं के अधिकार पूरी तरह संरक्षित हैं।
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कोलकाता: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने रविवार को कहा कि विपक्ष के लिए स्थान तेजी से सिकुड़ रहा है, क्योंकि लोग भयभीत हैं, साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि संगठनात्मक ढांचे के मामले में उनकी पार्टी का भाजपा-आरएसएस से कोई मेल नहीं है। उन्होंने यहां अपनी पुस्तक 'फियरलेस इन ऑपोजिशन' के विमोचन के मौके पर कहा, "स्पष्ट रूप से, कांग्रेस पार्टी के संगठनात्मक ढांचे का भाजपा-आरएसएस से कोई मेल नहीं है।" उन्होंने कहा, "वे (भाजपा) वोट बटोरने में सक्षम हैं और हमसे ज्यादा मजबूत हुए हैं। लेकिन यदि भाजपा-आरएसएस का संगठनात्मक ढांचा यदि बंगाल में टीएमसी या तमिलनाडु में एआईडीएमके से मेल करने की कोशिश करे तो उन्हें हार मिलेगी।" चिदंबरम ने कहा कि संगठनात्मक ढांचा चुनाव के दिन वोट हासिल करने की क्षमता है। संप्रग शासन में गृह और वित्त मंत्री रह चुके चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए एक राष्ट्रीय चुनाव लड़ने में 29 राज्यों के लिए 29 अलग-अलग रणनीतियों की जरूरत है। उन्होंने कहा, "गुजरात के लिए जो रणनीति सही होगी वह असम के लिए सही नहीं हो सकती।" उन्होंने बताया, "मैंने अपने नेतृत्व से 2019 के चुनाव के लिए 29 रणनीतियों का खाका बनाने की जरूरत के बारे में कहा है।" नोटबंदी के बारे में उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजनीतिक बहस हार गई लेकिन पार्टी ने आर्थिक बहस में जीत हासिल की।
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक :डीजीपी: ने आज (शुक्रवार) अवमानना के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सीएस कर्णन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 31 मार्च को उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए जारी जमानती वारंट सौंपा। हालांकि डीजीपी सुरजीत कार पुरकायस्थ द्वारा न्यायमूर्ति कर्णन को उनके आवास सौंपे गये वारंट को न्यायाधीश ने ‘‘ठुकरा दिया।’’ शीर्ष अदालत ने 10 मार्च को भारत के न्यायपालिका के इतिहास के इस अभूतपूर्व आदेश में यह वारंट जारी किया था। कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार और डीआईजी (सीआईडी) राजेश कुमार के साथ डीजीपी न्यू टाउन एरिया स्थित न्यायमूर्ति कर्णन के आवास पर पहुंचे और उन्हें वारंट सौंपा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,‘‘ डीजीपी ने न्यायमूर्ति कर्णन के खिलाफ जारी जमानती वारंट आज सुबह न्यू टाउन स्थित उनके आवास पर उन्हें सौंप दिया।’’ जब तीनों पुलिस अधिकारी न्यायमूर्ति के आवास पर पहुंचे, उस वक्त वहां बडी संख्या में पुलिस बल तैनात था। स्वत: संज्ञान से अवमानना कार्यवाही शुरू करने और जमानती वारंट जारी करने वाली प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की पीठ को लिखे पत्र में न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा कि वह वारंट को ठुकराते हैं।
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