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पटना: बिहार में इंटर की परीक्षा में फेल हुए छात्रों का बवाल उग्र रुप लेता चला जा रहा है। आज नालंदा जिले के नूरसराय कॉलेज के छात्र सड़क पर उतर आए और बेल धन्ना के पास बिहार शरीफ-दनियावां मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। आपको बता दें कि सड़क जाम कर रहे छात्रों ने शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष और सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। गौरतलब है कि गुस्साए छात्र कॉपी जांच में गड़बड़ी का आरोप लगा रहे थे। हलांकि सड़क जाम की खबर मिलते ही मौके पर पहुंची चंडी थाना और नूरसराय थाना पुलिस नाराज छात्रों को समझाने का प्रयास कर रही है।

12वीं में फेल हुए छात्रों ने हरनौत बाजार के चंडी मोड़ के पास राष्ट्रीय राजमार्ग-31 (एनएच-31) को जाम कर दिया है। इस दौरान टायर जलाकर सड़क पर आगजनी भी की गई। सड़क जाम करने वालों में हरनौत प्रखंड के विभिन्न स्कूलों के छात्र शामिल हैं। छात्रों की मांग है कि इंटर की कॉपी की दोबारा से जांच की जाए। छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉपी जांच में गड़बड़ी की गई है। इसी वजह से अधिकतर छात्र फेल हो गए हैं।

नई दिल्ली: बिहार में एनडीए के घटक दलों में अगले लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर मंथन शुरू हो गया है। जेडीयू की मांग है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मौजूदा बिहार विधानसभा में उसकी ताकत के आधार पर उसे सीटें मिलनी चाहिए। फिलहाल बिहार विधानसभा में जेडीयू के 70 एमएलए हैं जो एनडीए के घटक दलों में सबसे ज्यादा हैं। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर 2019 के लोकसभा चुनावों में सीटों का बंटवारा नहीं हो सकता है क्योंकि इस बार राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी हैं।

जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक अगर 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों को 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान टिकट के बंटवारे का आधार बनाया जाता है तो जेडीयू यह मांग कर सकती है कि 2020 के विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा 2015 के विधानसभा चुनावों के नतीजों के आधार पर ही होना चाहिए और जेडीयू को 150 सीटें मिलनी चाहिए. 2015 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के 53 उम्मीदवार जीते थे। जेडीयू की मांग है कि भाजपा जो राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ी पार्टी है उसे बड़ा दिल दिखाना चाहिए और बिहार में आपने सहयोगियों को ज्यादा जगह देनी चाहिए।

पटना: बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के घटक दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कल गुरुवार को बिहार में एनडीए के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। दिल्ली में अपनी व्यस्तता का हवाला देकर कुशवाहा बैठक से दूर रहे थे। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और राधा मोहन सिंह, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव तथा लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने बैठक में हिस्सा लिया था। हालांकि, शनिवार को केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में सफाई दी कि वह ‘निजी कारणों’ के चलते बैठक में नहीं पहुंच सके थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह गठबंधन ‘जस का तस’ है।

इसी बीच, तेजस्वी यादव ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश की है। तेजस्वी ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "उपेंद्र कुश्वाहा के लिए एनडीए में कोई जगह नहीं है। यदि वह हमसे बात करना चाहें तो हमें कोई समस्या नहीं है।"

पटना: बिहार के पटना में एनडीए के महाभोज में गुरुवार को गठबंधन के घटक दलों की एकजुटता दिखी। आठ साल बाद ऐसा नजारा दिखा, जिसमें केवल रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को छोड़ अन्य सभी दलों के बड़े नेता इकट्ठा हुए। खास बात यह रही कि राजनीति की जगह भोज और आपसी तालमेल की बातचीत होती रही. सभी दलों के नेता एनडीए की एकजुटता को कायम रहने की भविष्यवाणी करते नजर आये। साथ ही सभी ने एनडीए में किसी तरह के फूट से साफ-साफ इंकार किया।

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनडीए के सभी घटक दल एकजुट हैं और कहीं कोई मतभेद नहीं है। वहीं, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद अश्विनी चौबे ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। कोई नाराज नहीं है। उधर, रालोसपा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागमणि ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा का विमान छूट जाने की वजह से वे नहीं आ पाये। उन्होंने इस सहभोज में पार्टी के अन्य नेताओं को शामिल होने के लिए कहा है।

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