पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी सहयोगी भाजपा और विरोधी राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पर एक साथ एक ही सभा में और एक ही भाषण में उनकी कार्यशैली को लेकर सवाल उठाया। जहां नीतीश के निशाने पर राजद और कांग्रेस परिवारवाद और भ्रष्टाचार के कारण रहे, वहीं भाजपा पर सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने के कारण वो नाराज़ दिखे। हालांकि नीतीश ने पार्टी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में किसी दल या या नेता का नाम नहीं लिया। लेकिन अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के सामने कहा कि राजनीति में आजकल युवा नहीं दिख रहे और जो युवा हैं वे अपने बल पर नहीं अपने परिवार के बल पर राजनीति में बढ़ रहे हैं।
उन्होंने साफ़ कहा कि राजनीति कुंठित हो रही है और गर्त में जाने वाली है। वहीं भाजपा का नाम लिए बिना नीतीश ने कहा कि उनकी प्रतिबद्धता है कि समाज में प्रेम और शांति का माहौल क़ायम रहे, लेकिन कुछ लोग क़ानून की अवहेलना और उसका उल्लंघन कर रहे हैं। निश्चित रूप से नीतीश का इशारा हाल में राज्य में साम्प्रदायिक तनाव की घटना के पीछे था जिसमें कई जगहों पर भाजपा नेताओं के नाम आए।
नीतीश के अनुसार अगर युवा नए अभियान, आंदोलन से नहीं आएंगे तब वैसे लोग आएंगे जो पद प्राप्ति और जनसेवा नहीं धन प्राप्ति के लिए आएंगे। जिनका मुख्य उद्देश्य केवल धनोपार्जन और कैसे सम्पर्क बनाया जाए वो होगा।
नीतीश के इस भाषण के एक घंटे के अंदर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि ''नीतीश चाचा में नैतिकता व आत्मबल बचा है तो आज ही ऐफ़िडेविट पर लिखकर कहें कि उनका बेटा कभी भी राजनीति में नहीं आयेगा। क्योंकि आपके ज़ुबानी ख़र्च और पलटीमार प्रवृति पर कोई भी यक़ीन नहीं करता। चाचा, मेरी बात काटने के लिए पलटी मारना बंद कर, बैसाखी छोड़ अपने दम पर कर्म करना शुरू किजीए।''