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नई दिल्ली:17 बैंकों के 9 हजार करोड़ बिना चुकाए देश छोड़कर भागने वाले विजय माल्या का मुद्दा आज (गुरूवार) राज्यसभा में भी उठा। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल्या मामले की जांच सीबीआई कर रही है। उन पर 9 हजार करोड़ का कर्ज बकाया था। उन्हें यूपीए सरकार के समय लोन मिले। उनके खातों की तारीख बताती है कि उनके मददगार कौन थे? 10 साल तक कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन लोन की रिकवरी के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? इस मामले पर सरकार की कार्रवाई पर जेटली ने कहा कि उनकी जो भी संपत्ति भारत में है, उसे जब्त करने की तैयारी चल रही है। उनसे बैंक एक-एक पैसा वसूल करेंगे। जब वह भारत छोड़कर गए तब तक उन्हें रोकने का कोई आदेश नहीं था। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि जब ललित मोदी पर करप्शन से जुड़े केस चल रहे थे तो वह कैसे देश से बाहर भाग गए थे। आप उन्हें नहीं रोक सकते थे या गिरफ्तार कर सकते थे? कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि जिसने 9000 करोड़ की चोरी कि उसे सरकार ने भागने दिया। यह क्यों किया गया? इस पर कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यूपीए ने कभी भी विजय माल्या के लिए लोन की सिफारिश नहीं की।

नई दिल्ली: केंद्र द्वारा पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले के दौरान और उसके बाद अर्धसैनिक बलों की तैनाती पर आए 6.35 करोड़ रूपए का खर्च पंजाब सरकार से मांगे जाने की खबरों के बीच पंजाब से आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद भगवंत मान और साधु सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कहा है कि वह उनके सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास कोष (एमपीलैड्स) से यह राशि ले लें । गृह मंत्री को लिखे गए पत्र में लोकसभा में ‘आप’ के संसदीय दल के नेता मान ने कहा कि पंजाब पहले ही 1.5 लाख करोड़ रूपए के कर्ज तले दबा है । मान ने कहा, ‘पंजाब ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे ज्यादा त्याग किया है । इस साल गणतंत्र दिवस परेड में न तो सिख रेजिमेंट और न ही पंजाब की झांकी को जगह मिली ।’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप पंजाब को भारत का हिस्सा नहीं मानते या यदि आप पठानकोट आतंकवादी हमले को देश पर हमला नहीं मानते तो राज्य से एक सांसद के तौर पर मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आप कृपया हमारे एमपीलैड कोष से 6.35 करोड़ रूपए ले लें ।’

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने विवादों के बावजूद बुधवार को यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में ऑर्ट आफ लिविंग के शुक्रवार यानी 11 मार्च से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम को हरी झंडी दे दी, लेकिन उस पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया। श्री श्री रविशंकर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा है कि वह जुर्माना नहीं देंगे। उन्होंने इस सिलसिले में ट्वीट भी किया है कि वह इस निर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, वे इसके खिलाफ अपील करेंगे। इससे पहले उन्होंने इस पूरे विवाद पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए दो और ट्वीट किए। गौरतलब है कि यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के शुक्रवार से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम को कल हरी झंडी दी थी लेकिन उस पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया। कड़े सवाल खड़े करने के बाद अधिकरण ने वैधानिक कार्यों का निर्वहन नहीं करने को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) पर पांच लाख रूपये और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) पर एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया।

नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने विवादों के बावजूद यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के शुक्रवार से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम को आज हरी झंडी दे दी लेकिन उस पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर पांच करोड़ रूपये का जुर्माना लगाया। कड़े सवाल खड़े करने के बाद अधिकरण ने वैधानिक कार्यों का निर्वहन नहीं करने को लेकर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) पर पांच लाख रूपये और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) पर एक लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली एक पीठ ने श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व वाले आर्ट ऑफ लिविंग से कहा कि वह 11 मार्च को कार्यक्रम शुरू होने से पहले पांच करोड़ रूपये पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के तौर पर जमा कराये। एनजीटी की मंजूरी ऐसे दिन आयी जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने कार्यक्रम को पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से एक तबाही करार दिया। इस कार्यक्रम के समापन समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुछ अन्य कारणों से हिस्सा लेने से पहले ही मना कर दिया है।

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