नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित किए जाने की मांग करते हुए कड़े शब्दों में सरकार से कहा, 'हमें हमारा जायज हक दो।' इसके साथ ही उन्होंने 'अधिकतम सुशासन' के नारे को लेकर सरकार पर हमला बोला और कहा कि अधिकतम सुशासन का अर्थ प्रतिशोध की भावना के बिना असहमति के आधार को विस्तार प्रदान करना भी है। कांग्रेस अध्यक्ष ने भाजपा शासित कुछ राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर भी सरकार को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि यह कदम अनुसूचित जाति और जनजाति समूहों की महिलाओं को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने वाला है। उन्होंने इस प्रावधान को खत्म करने के लिए तत्काल विधायी रूप से ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई।
महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर सबसे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने महिलाओं के उत्थान में कांग्रेस पार्टी की भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि कांग्रेस ने देश को पहली महिला प्रधानमंत्री, पहली महिला राष्ट्रपति और पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष दी। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दूरदृष्टि के चलते ही आज स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में 40 फीसदी से अधिक महिलाएं निर्वाचित हुई हैं। सोनिया गांधी ने कई मुद्दों को लेकर एनडीए सरकार की आलोचना की और उसके 'अधिकतम सुशासन और न्यूनतम सरकार' के नारे पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 'न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन' पर उन्हें गंभीर आपत्तियां हैं। उन्होंने कहा, अधिकतम सुशासन आर्थिक वृद्धि को गति देने से कहीं अधिक आगे की बात है। इसका अर्थ प्रतिशोध की भावना के बिना असहमति के आधार को विस्तारित करना भी है। निश्चित रूप से अधिकतम सुशासन का मतलब महिलाओं के अधिकारों के मामले में दोहरे मापदंड अपनाना भी नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, निश्चित रूप से, अधिकतम सुशासन का यह भी अर्थ है कि महिलाओं को उनका बहुप्रतीक्षित बकाया हक महिला आरक्षण विधेयक प्रदान करना है।