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नई दिल्ली: राष्ट्रपति डॉ प्रणब मुखर्जी ने फ्रांस के नीस में नेशनल डे का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए लोगों पर ट्रक से कुचलकर किए हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ जंग में फ्रांस से सहयोग बढ़ाने का वादा किया है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीस हमले की कड़ी निंदा करते हुए फ्रांस की जनता का साथ देने का वादा किया है। राष्ट्रपति ने माइक्रो-ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर लिखा, "फ्रांस के नीस में बैस्टिल डे के जश्न के लिए इकट्ठे हुए मासूमों की भीड़ पर हुए आतंकवादी हमले की ख़बर सुनकर स्तब्ध हूं... फ्रांस में हुए इस आतंकवादी हमले की साज़िश करने वालों की कड़ी निंदा करता हूं..." अलग-अलग ट्वीट में राष्ट्रपति ने यह भी कहा, "भारत इस हमले से जूझते फ्रांस की सरकार और वहां की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है... हम आतंकवाद के खिलाफ जंग में फ्रांस और अन्य देशों के अपने सहयोग को मजबूत करेंगे..." डॉ मुखर्जी ने हमले में मारे गए सभी लोगों के परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना जताने के साथ-साथ घायलों के जल्द ठीक होने के लिए प्रार्थना भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीस हमले की कड़ी निंदा करते हुए फ्रांस की जनता का साथ देने का वादा किया है।
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नई दिल्ली: फ्रांस के नीस रिजॉर्ट में हुए आतंकी हमले में किसी भी भारतीय के प्रभावित होने की खबर नहीं है। नीस में बासटील दिवस के आयोजनों के दौरान भीड़ में एक विशाल ट्रक के घुसने से कम से कम 80 लोगों की जान चली गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने आज टवीट किया पेरिस में हमारे राजदूत नीस में भारतीय समुदाय से संपर्क बनाए हुए हैं। अब तक किसी भी भारतीय के प्रभावित होने की खबर नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पेरिस में भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है जो 33-1-40507070 है। नीस में कल रात बासटील दिवस के आयोजन के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे। देर रात को एक विशाल ट्रक भीड़ में घुस गया जिससे कम से कम 80 लोग मारे गए और दर्जनों अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। भीड़ को कुचलते हुए करीब दो किमी आगे जा चुके ट्रक चालक को गोली मार दी गई। घटना स्थल पर शवों का ढेर लगा था और घबराहट में सैकड़ों लोग बदहवास हो कर भागने लगे।
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नई दिल्ली: गृहयुद्ध जैसे हालात का सामना कर रहे अफ्रीकी देश दक्षिण सूडान में 146 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। ये शुक्रवार को तिरुवंनतपुर होते हुए दिल्ली आएंगे। शेष बचे भारतीयों को भी निकालने की कोशिश की जा रही है। स्वयं विदेश राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त)वीके सिंह 'सकंट मोचन' नाम से चलाए जा रहे इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह गुरुवार को तड़के ही वायुसेना के दो सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के साथ हिंसाग्रस्त दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा रवाना हुए। उनके साथ विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा, संयुक्त सचिव सतबीर सिंह और निदेशक अंजनी कुमार भी हैं। रवाना होने से पहले सिंह ने लोगों का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया। जूबा पहुंचने के बाद उन्होंने दक्षिण सूडान के विदेश मंत्री डेंग अलोर कुओल और उप राष्ट्रपति जेम्स वानी लगा से मुलाकात की। भारतीयों को निकालने के अभियान में संयुक्त राष्ट्र मिशन, दक्षिण सूडान प्रशासन और भारतीय मिशन के साथ समन्वय किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर बताया कि पहले विमान में 10 महिलाओं और तीन नवजातों सहित 146 भारतीयों को लेकर विमान जूबा से रवाना हो गया है। बाद में वीके सिंह ने ट्वीट किया विमान संकटग्रस्त दक्षिण सूडान से निकल कर सुरक्षित तरीके से यूगांडा के एंटेबी पहुंच चुका है। भारतीयों को निकालने के अभियान में तमाम तरह की परेशानियां भी आईं। कई भारतीयों ने स्वदेश लौटने का पंजीकरण कराने के बावजूद भारत लौटने से इनकार कर दिया।
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नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश निर्वाचन आयोग को शहर की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित रिकॉर्ड लाने को कहा है जिनके खिलाफ कथित तौर पर चुनाव आयोग को हफलनामों में गलत जानकारी देने के मामले में शिकायत दर्ज की गयी थी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरविंदर सिंह ने निर्देश जारी किये। उन्हें एक अधिकारी ने सूचित किया था कि स्मृति ईरानी द्वारा उनकी शैक्षणिक योग्यता से संबंधित दाखिल दस्तावेजों का पता नहीं चल रहा। चुनाव आयोग से मूल दस्तावेज रिकॉर्ड में लाने को कहा गया था क्योंकि शिकायती का आरोप था कि 2004 में चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए आयोग के समक्ष दाखिल स्मृति के हलफनामे में उन्हें स्नातक बताया गया था। अधिकारी ने अदालत में कहा कि स्मृति की शैक्षणिक योग्यता के संबंध में उनके द्वारा दाखिल मूल दस्तावेजों का पता नहीं चल रहा लेकिन इस संबंध में जानकारी आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके बाद अदालत ने अधिकारी को मामले में उसके समक्ष एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 जुलाई की तारीख तय की। अदालत ने पिछले साल 20 नवंबर को फ्रीलांस लेखक और फरियादी अहमर खान की याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर लिया था जिसमें चुनाव आयोग और दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों को स्मृति की योग्यता से संबंधित रिकॉर्ड लाने का निर्देश देने की मांग की गयी थी। खान ने कहा था कि वह उन कागजों को अदालत के समक्ष पेश नहीं कर सके।
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