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नई दिल्ली: सीआरपीएफ के करीब 2000 अतिरिक्त जवान हिंसा प्रभावित कश्मीर घाटी भेजे जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि कुल 20 और कंपनियां घाटी में भेजी जा रही हैं। एक कंपनी में 100 जवान होते हैं। इससे पूर्व पिछले हफ्ते केंद्रीय पुलिस रिजर्व बल के 2800 जवान राज्य पुलिस की मदद के लिए भेजे गए थे। उन्होंने बताया कि घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और बढ़ाने के लिए अतिरिक्त जवानों को तैनात किया जाएगा। हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में शुरू हुयी हिंसा में 39 लोगों की मौत हो गयी है जबकि 3100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सुरक्षाबलों के काफिलों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए नयी इकाइयों में से कुछ को विशेष रूप से ‘‘रोड ओपनिंग पार्टी’’ का काम सौंपा जाएगा। राज्य में पहले से ही करीब 60 बटालियनें तैनात हैं। एक बटालियन में करीब 1000 जवान होते हैं।इस बीच घाटी में कफ्र्यू जारी है और आज नौवें दिन भी सामान्य जनजीवन ठप रहा।

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने छह राष्ट्रीय दलों के शीर्ष नेताओं राजनाथ सिंह, मायावती, सोनिया गांधी, प्रकाश करात, शरद पवार और सुधाकर रेड्डी के नाम से नये सिरे से नोटिस जारी कर उनसे आरटीआई प्रश्नों का जवाब नहीं देने पर कार्यकर्ताओं द्वारा दाखिल मामलों में उनके समक्ष पेश होने को कहा है। नामों से नोटिस तब जारी किए गए जब शिकायती आरके जैन ने आरोप लगाया कि सीआईसी के रजिस्ट्रार ने छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों- भाजपा, कांग्रेस, बसपा, राकांपा, माकपा और भाकपा के खिलाफ उनकी शिकायतों से निपटने में दोहरे मानदंड अपनाये जहां केवल सोनिया गांधी के नाम से नोटिस भेजा गया जबकि अन्य नोटिस पार्टी प्रमुखों को संबोधित भेजे गये। सीआईसी ने 2013 में आरटीआई कानून के तहत इन पार्टियों को जवाबदेह घोषित किया था जिसके बाद जैन ने फरवरी, 2014 में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों को आरटीआई अर्जी भेजकर उनके चंदे, आंतरिक चुनावों आदि की जानकारी मांगी थी और उनसे कोई जवाब नहीं मिलने पर सीआईसी में शिकायत दाखिल की। नेताओं से 22 जुलाई को आयोग की पूर्ण पीठ के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है। पीठ में सूचना आयुक्त बिमल जुल्का, श्रीधर आचायरुलू और सुधीर भार्गव होंगे जो जैन की याचिका पर सुनवाई करेगी।

नई दिल्ली: विपक्ष शासित राज्यों में अस्थिरता की कथित कोशिशों और कश्मीर में अशांति को लेकर संसद के मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने का प्रयास करेगा लेकिन जीएसटी विधेयक जैसे कदमों पर उसका समर्थन भी करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी को आज राष्ट्रीय महत्व का बताया। कल से शुरू हो रहे संसद सत्र से पहले आज सर्वदलीय बैठक में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने अरूणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के घटनाक्रम पर अपनी राय रखी और सरकार को निशाने पर लेने का संकेत दिया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि राज्यों को केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर अब भरोसा नहीं रह गया है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में बाद में पहुंचने वाले प्रधानमंत्री ने कश्मीर के घटनाक्रम पर एक सुर में बोलने को लेकर सभी दलों को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह कहते हुए जीएसटी विधेयक को पारित कराने में उनसे समर्थन मांगा कि यह राष्ट्रीय महत्व का है। मोदी ने उनसे राष्ट्रहित को सभी चीजों से ऊपर रखने की अपील की। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दो घंटे की इस बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि संसद एक महापंचायत है जहां सभी मुद्दे उठाये जा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जीएसटी समेत हमारा विधायी कामकाज प्राथमिकता है। हम यह देखना चाहते हैं कि हम सर्वसम्मति से जीएसटी पारित कर पाएं। हम हर दल को साथ लाने जा रहे हैं।’

नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से उत्साहित विपक्ष, एनएसजी सदस्यता पाने में भारत की नाकामी सहित कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष को घेरने की विरोधी दलों की मांग को देखते हुए कल (सोमवार) से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम में राज्य में कांग्रेस की नई सरकार के गठन, समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रस्ताव पर विधि आयोग से रिपोर्ट की मांग संबंधी मोदी सरकार के फैसले जैसे मुद्दों से सत्र के दौरान माहौल गर्म रहने की संभावना है। दूसरी ओर, वरिष्ठ मंत्रियों एवं कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ हालिया बैठक के बाद सरकार अहम जीएसटी विधेयक के रास्ते में आ रही बाधा खत्म होने की उम्मीद कर रही है, जिसे वह पिछले सत्र के दौरान ही पारित कराना चाहती थी। सत्र के दौरान दोनों पक्षों के फिर से बैठक करने की संभावना है। जीएसटी विधेयक पर मतभेदों के समाधान के लिए शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कांग्रेस नेताओं गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा से मुलाकात की। विवादास्पद संविधान (122वां संशोधन) विधेयक जिसे जीएसटी विधेयक के रूप में जाना जाता है, के लोकसभा में पारित होने के बाद पिछले साल अगस्त में इसे उपरी सदन भेजा गया था।

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