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नई दिल्ली: सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में अमित शाह को क्लीन चिट देने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि मुंबई के सीबीआई कोर्ट के अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त करने के फैसले को रद्द किया जाए। सुप्रीम कोर्ट 25 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट इस याचिका को खारिज कर चुका है। पूर्व आईएएस हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यह भी कहा है कि कोर्ट सोहराबुद्दीन के भाई रबीबुद्दीन शेख की भी सीबीआई या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराए कि आखिर उसने बॉम्बे हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस क्यों ली? जबकि वह लगातार एनकाउंटर मामले में शुरुआत से ही अदालती लड़ाई लड़ते रहे हैं। दरअसल 30 दिसंबर 2014 को मुंबई के सीबीआई कोर्ट ने अमित शाह को इस केस से आरोपमुक्त कर दिया था और कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया गया था। वहीं पिछले साल नवंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रबीबुद्दीन शेख की उस अर्जी को स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कहा था कि वह स्वास्थ्य कारणों से केस नहीं लड़ सकता। इसी पर हर्ष मंदर ने मांग की है कि इसके पीछे कारण की जांच होनी चाहिए।

नई दिल्‍ली: संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राज्यसभा में कश्‍मीर में हिंसा को लेकर सियासी संग्राम देखने को मिला। कश्‍मीर मामले में कांग्रेस के नोटिस के बाद आज राज्‍यसभा में चर्चा हुई। कश्मीर में हालात को लेकर विपक्ष ने सोमवार को सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए और अशांति से निपटने के लिए बल प्रयोग के बजाय राजनीतिक समाधान की कोशिश करनी चाहिए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में हालात पर अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जब उग्रवाद से निपटने की बात हो तो उनकी पार्टी केंद्र और राज्य की सरकार के साथ है लेकिन महिलाओं और बच्चों सहित स्थानीय नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सरकार से कश्मीर मुद्दे पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने और अत्यधिक बल प्रयोग के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की। कश्‍मीर मुद्दे पर वरिष्‍ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि इस समय पूरे घाटी में तनावपूर्ण माहौल है। साल 2008 के बाद से ही कश्‍मीर के हालात खराब होते जा रहे हैं। आजाद ने कहा कि क्‍या आतंकियों और आम नागरिकों में फर्क नहीं होता। समाज में दरार डालने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि कांग्रेस हमेशा आतंकवाद के खिलाफ रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दो टूक शब्दों में सवाल किया कि जिन गोलियों का उपयोग उग्रवादियों के लिए किया जाता है, क्या वही गोलियां आम नागरिकों पर चलाई जानी चाहिए? उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी आंदोलन हुआ और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई लेकिन वहां लोगों पर इस तरह से गोलियां और पैलेट गनों का उपयोग क्यों नहीं किया गया?

नई दिल्ली: भाजपा के राज्यसभा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने मानसून सत्र के पहले दिन ही इस्तीफा देकर भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है। सिद्धू ने आज राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सभापति ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। सूत्रों के मुताबिक सिद्धू पत्नी सहित आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। मीडिया सूत्र ये भी बता रहे हैं कि उन्हें पंजाब में आप की ओर से सीएम उम्मीदवार भी बनाया जा सकता है। सिद्धू पार्टी से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे, लेकिन मीडिया के सामने उन्होंने कभी भी खुलकर यह नहीं कहा था।फिलहाल राज्य में सभी पार्टियां चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं। ऐसे में उनके आम आदमी पार्टी में जाने की चर्चा जोरों पर है। बताया जा रहा है कि सिद्धू अपनी पत्नी नवजोत कौर के साथ चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह बात काफी समय से चल रही थी लेकिन कोई सहमति नहीं हो पाई थी। पंजाब में आप को एक बड़े चेहरे को जरूरत है। सिद्धू इस जरूरत को पूरा कर सकते हैं। सिद्धू लंबे समय से बीजेपी की सहयोगी अकाली दल से नाराज हैं। और इसी नाराजगी का नतीजा है कि उन्होंने राज्यसभा में भी रहना मंजूर नहीं किया।इसी साल 28 अप्रैल को सिद्धू ने राज्यसभा में मनोनीत सदस्य के रूप में शपथ ली थी। सिद्धू का क्रिकेट करियर 1983 में शुरू हुआ था, लेकिन उनको पहचान 1987 वर्ल्ड कप से मिली। इसी वर्ल्ड कप में सिद्धू ने वनडे में डेब्यू किया और पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 73 रन की पारी खेली थी।

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि कांग्रेस आज अपने सबसे कमजोर स्थिति में है और उन्हें उम्मीद थी कि शीला दीक्षित पार्टी छोड़कर आराम करेंगी, जिन्हें उत्तर प्रदेश में पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया है। मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे होने से जुड़े एक समारोह के दौरान जेटली ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी अभी अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है और इसलिए एक के बाद एक निर्णय कर रही है... हाल ही में उन्होंने शीला दीक्षित को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का निर्णय किया। हालांकि मैं उनका काफी सम्मान करता हूं, मैंने उम्मीद की थी कि वे पार्टी छोड़कर आराम करेंगी।' वित्त मंत्री ने कहा, 'उन्हें उत्तर प्रदेश में इस बार वोट नहीं मिलेंगे और यही स्थिति अन्य राज्यों में होगी। देश उन्हें तब तक स्वीकार नहीं करेगा, जब तक वे इस धारणा को नहीं बदलते कि नेता केवल एक परिवार में ही पैदा लेते हैं।' अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार पर चुटकी लेते हुए जेटली ने कहा कि उनके प्रयोगों की कीमत राष्ट्रीय राजधानी की जनता को चुकानी पड़ रही है।

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