नई दिल्ली: गृहयुद्ध जैसे हालात का सामना कर रहे अफ्रीकी देश दक्षिण सूडान में 146 भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। ये शुक्रवार को तिरुवंनतपुर होते हुए दिल्ली आएंगे। शेष बचे भारतीयों को भी निकालने की कोशिश की जा रही है। स्वयं विदेश राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त)वीके सिंह 'सकंट मोचन' नाम से चलाए जा रहे इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह गुरुवार को तड़के ही वायुसेना के दो सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के साथ हिंसाग्रस्त दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा रवाना हुए। उनके साथ विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा, संयुक्त सचिव सतबीर सिंह और निदेशक अंजनी कुमार भी हैं। रवाना होने से पहले सिंह ने लोगों का समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया। जूबा पहुंचने के बाद उन्होंने दक्षिण सूडान के विदेश मंत्री डेंग अलोर कुओल और उप राष्ट्रपति जेम्स वानी लगा से मुलाकात की। भारतीयों को निकालने के अभियान में संयुक्त राष्ट्र मिशन, दक्षिण सूडान प्रशासन और भारतीय मिशन के साथ समन्वय किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर बताया कि पहले विमान में 10 महिलाओं और तीन नवजातों सहित 146 भारतीयों को लेकर विमान जूबा से रवाना हो गया है। बाद में वीके सिंह ने ट्वीट किया विमान संकटग्रस्त दक्षिण सूडान से निकल कर सुरक्षित तरीके से यूगांडा के एंटेबी पहुंच चुका है। भारतीयों को निकालने के अभियान में तमाम तरह की परेशानियां भी आईं। कई भारतीयों ने स्वदेश लौटने का पंजीकरण कराने के बावजूद भारत लौटने से इनकार कर दिया।
हालांकि, अधिकारी उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे हैं। खबरों के मुताबिक स्थानीय लोग अमेरिकियों के देश छोड़ने का विरोध कर रहे हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दक्षिण सूडान में फंसे भारतीयों को सरकार की ओर से शुरू किए गए अभियान 'संकट मोचन' का लाभ उठाकर स्वदेश लौटने की अपील की है। उन्होंने ट्वीट किया दक्षिण सूडान में फंसे अपने परिजनों और दोस्तों को वहां से निकलने के लिए इस मौके का इस्तेमाल करने को कहें, क्योंकि बाद में स्थिति खराब होने पर हम उन्हें निकाल नहीं पाएंगे। उन्हें निकालने के लिए दो विमान भेजे गए हैं। विदेश मंत्रालय ने जूबा सहित दक्षिण सूडान में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए एक आधिकारिक परामर्श जारी किया है। इसके मुताबिक केवल वैध यात्रा दस्तावेज वाले भारतीय नागरिकों को ही विमान में सवार होने की इजाजत होगी। महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर जगह दी जाएगी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक सूडान में करीब 600 भारतीय रह रहे हैं। इनमें से 450 भारतीय राजधानी एवं हिंसाग्रस्त जूबा में रह रहे हैं, जबकि 150 भारतीय जूबा से बाहर हैं। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अब तक करीब 300 भारतीयों ने स्वदेश आने के लिए अपना पंजीकरण कराया है।