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नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल पद को मौजूदा संघीय ढांचे में अनावश्यक करार दिया है। उन्होंने इस पद पर नियुक्ति और हटाए जाने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री की राय अनिवार्य किए जाने की भी मांग की। नीतीश ने शनिवार को संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर राज्य सरकार को बर्खास्त करने के मामले में भी सतर्कता बरतने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसका इस्तेमाल सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति के बजाय केवल आपात स्थितियों में ही किया जाना चाहिए। साथ ही इस्तेमाल करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संबंधित राज्य सरकार राज धर्म का पालन कर रही है या नहीं। अंतर-राज्य परिषद की बैठक में सबकी निगाहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते नीतीश कुमार पर लगी हुई थी। नीतीश ने केंद्र राज्य संबंधों पर पुंछी आयोग की शिफारिशों पर अपनी दो टूक राय रखी। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पद की जरूरत ही नहीं है, लेकिन यदि ऐसा किया जाना संभव नहीं है, तो उनकी नियुक्ति व उनको हटाने के लिए मौजूदा संवैधानिक प्रावधानों में बदलाव किया जाए। साथ ही बिना मुख्यमंत्री की सलाह के न तो राज्यपाल की नियुक्ति की जाए और न ही उनको बदला जाए। दूसरे, केंद्र में सत्ता परिवर्तन पर राज्यपालों को समय पूर्व न बदला जाए। नीतीश ने मुख्यमंत्री को लेकर आयोग की इस सिफारिश पर भी जोर दिया कि मुख्यमंत्री को सदन में बहुमत सिद्ध करने का मौका दिए बगैर किसी भी स्थिति में न हटाया जाए।

उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 355 व 356 के तहत राज्य सरकारों को बर्खास्त करने के प्रावधानों पर कहा कि इस संबंध में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि राज्य सरकारें राजधर्म का पालन कर रही हैं या नहीं। इस बारे में बोम्मई मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखा जाना चाहिए। नीतीश कुमार ने आंतरिक सुरक्षा की चर्चा करते हुए कहा कि बिहार सांप्रदायिक दृष्टिकोण से संवेदनशील राज्य है। विभिन्न अवसरों पर सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने व विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के रैपिड एक्शन फोर्स की एक बटालियन बिहार में रखने की मांग की। कहा कि इसके लिए राज्य सरकार जहानाबाद जिले में 60 एकड़ जमीन निशुल्क उपलब्ध कराने को तैयार है। उन्होंने पुलिस आधुनिकीकरण के लिए भी अधिक धम राशि की मांग की है। बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन राज्यों को विषेष श्रेणी के राज्य का दर्जा मिला है उन्होंने प्रगति की है। ऐसे में पिछड़ेपन से निकल कर विकास के राष्ट्रीय औसत स्तर को प्राप्त करने के लिए बिहार व उस जैसे अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए। रघुराम राजन समिति की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि उसने दस सर्वाधिक पिछड़े राज्य चिन्ह्ति किए थे जिनमें बिहार भी शामिल है। नीतीश ने बिहार जैसे पिछड़े राज्य के लिए सभी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी 90:10 के अनुपात में रखने की मांग की है। उन्होंने पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के माध्यम से विशेष योजना के तहत बिहार राज्य की बाकी 6395.19 करोड़ रुपये की राशि 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंतिम वर्ष 2016-17 में ही उपलब्ध कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व जनवरी 2017 में मनाए जाने के लिए राज्य सरकार द्वारा की जा रही तैयारियों का उल्लेख करते हुए इस समारोह के वृहद आयोजन के लिए केंद्र से 500 करोड़ रुपये उपलब्ध कराने की भी मांग की है।

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