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नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अब चाइल्ड पोर्नोग्राफी को डाउनलोड करना और देखना भी पॉस्‍को के तहत अपराध माना जाएगा। इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जगह बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार सामग्री लाने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी अनुरोध किया और साथ ही सभी हाई कोर्ट से बाल पोर्नोग्राफी शब्द का उपयोग न करने के लिए भी कहा है।

मद्रास हाई कोर्ट का फैसला पलटा

मद्रास हाई कोर्ट ने इसी आधार पर अपने मोबाइल फोन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े कंटेंट रखने के एक आरोपी के खिलाफ चल रहे केस को रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर मामले को फिर से सेशन कोर्ट भेजा है। बच्चों के अधिकार के लिए काम करने वाली कई संस्थाओं ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

किसी व्यक्ति द्वारा चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या देखना पॉस्‍को और आईटी अधिनियम के तहत अब अपराध है। 19 अप्रैल को मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा था कि केवल किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चाइल्‍ड पोर्नोग्राफ़ी डाउनलोड करना या उसे देखना कोई अपराध नहीं है। पॉस्‍को अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत अपराध की श्रेणी मे नहीं आता। मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की थी।

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