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नई दिल्ली: मई माह में खुदरा महंगाई दर अपने सात माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण ही ऐसा देखने को मिला है। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर 3.05 फीसदी हो गई है।

अप्रैल में थी 2.99 फीसदी

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी संशोधित आंकड़ों के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 2.99 फीसदी रही। पहले प्रारंभिक आंकड़ों में इसके 2.92 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया था। मई 2018 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.87 फीसदी पर थी। मई में मुद्रास्फीति का आंकड़ा अक्टूबर 2018 के बाद सबसे ऊंचा है। गत अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 3.38 फीसदी थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य मुद्रास्फीति मई में 1.83 फीसदी रही। यह अप्रैल के 1.1 फीसदी की तुलना में अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है।

नई दिल्ली: मोदी सरकार 4 लाख टन अरहर दाल का आयात करेगी, अरहर दाल की कीमत में बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र सरकार ने ये फ़ैसला किया है। सरकार ने अपने बफर स्टॉक से भी 2 लाख टन अरहर दाल खुले बाज़ार में जारी करने का फ़ैसला किया है। अरहर दाल की लगातार बढ़ रही कीमत को देखते हुए सरकार हरकत में आ गई है। कीमत बेकाबू हो जाए इसके पहले ही सरकार ने इसे थामने की दिशा में क़दम उठाया है।

केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के सचिवों के साथ एक बैठक कर कुछ अहम फ़ैसले लिए हैं। इसमें दालों की बढ़ती कीमत पर चिंतित सरकार ने सम्बंधित मंत्रालयों के आला अधिकारियों के साथ इस मामले पर बैठक की, खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के सचिव भी इस बैठक में मौजूद थे। सरकार का आकलन है कि 2018-19 में दाल के उत्पादन में क़रीब 8 लाख टन की कमी आ सकती है, जिसका असर इसके सप्लाई पर पड़ सकता है। इसमें अरहर दाल के उत्पादन में ही करीब 5 लाख टन की कमी की संभावना है, ऐसे में सरकार ने सप्लाई बनाए रखने के लिए अरहर दाल आयात करने का फ़ैसला लिया है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम के आरोपों को बुधवार को खारिज कर दिया। परिषद ने कहा कि वह जल्दी ही आरोपों का बिंदुवार उत्तर देगी। सुब्रमणियम ने एक शोधपत्र में दावा किया था कि जीडीपी की गणना के तरीके में बदलाव के कारण 2011-12 से 2016-17 के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि के आंकड़े को करीब 2.50 प्रतिशत बढ़ाकर दिखाया गया है।

परिषद ने एक बयान में कहा कि वह सुब्रमणियम के आकलन को विस्तार से देखेगी और बिंदुवार उत्तर लेकर सामने आएगी। परिषद ने कहा, ''अभी के समय में उचित अकादमिक बहस के मुद्दे को सनसनी बनाने की किसी कोशिश में उलझना भारतीय सांख्यिकी प्रणाली की गुणवत्ता और स्वतंत्रता को बचाये रखने के लिये उचित नहीं है। इन सब से पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार भी अच्छे से परिचित हैं। उसने कहा, ''निश्चित तौर पर डॉ सुब्रमणियम ने इन मुद्दों को तब भी उठाया होगा जब वह मुख्य आर्थिक सलाहकार के पद पर काम रहे थे।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने पैसे ट्रांसफर के लिए आरटीजीएस और नेफ्ट चार्ज हटाने के लिए बैंकों को आदेश दिया। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 जुलाई से बैंकों को नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फ़ंड ट्रांसफ़र (नेफ्ट) सिस्टम और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) सिस्टम शुल्क वापस लेने का निर्देश दिया। यानी अब 1 जुलाई से ग्राहकों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ेगा। बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बीते दिनों डिजिटल लेन-देन को मजबूत बनाने के इरादे से आरटीजीएस और नेफ्ट के जरिये धन अंतरण (लेन-देन) के लिए बैंकों पर लगने वाले शुल्क समाप्त करने की घोषणा की थी और बैंकों को इसका लाभ ग्राहकों को देने को कहा था।

गौरतलब है कि दो लाख रुपये से अधिक की राशि तत्काल दूसरे के खाते में भेजने के लिये रीयल टाइम ग्रास सेटिलमेंट (कंप्यूटर की गमि से सकल निपटान प्रणाली) आरटीजीएस का उपयोग किया जाता है। 2 लाख रुपये तक की राशि भेजने में के लिए नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड्स ट्रांसफर (नेफ्ट) प्रणाली बनी है।

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