नई दिल्ली: मोदी सरकार 4 लाख टन अरहर दाल का आयात करेगी, अरहर दाल की कीमत में बढ़ोत्तरी के मद्देनज़र सरकार ने ये फ़ैसला किया है। सरकार ने अपने बफर स्टॉक से भी 2 लाख टन अरहर दाल खुले बाज़ार में जारी करने का फ़ैसला किया है। अरहर दाल की लगातार बढ़ रही कीमत को देखते हुए सरकार हरकत में आ गई है। कीमत बेकाबू हो जाए इसके पहले ही सरकार ने इसे थामने की दिशा में क़दम उठाया है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के सचिवों के साथ एक बैठक कर कुछ अहम फ़ैसले लिए हैं। इसमें दालों की बढ़ती कीमत पर चिंतित सरकार ने सम्बंधित मंत्रालयों के आला अधिकारियों के साथ इस मामले पर बैठक की, खाद्य, उपभोक्ता मामले, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के सचिव भी इस बैठक में मौजूद थे। सरकार का आकलन है कि 2018-19 में दाल के उत्पादन में क़रीब 8 लाख टन की कमी आ सकती है, जिसका असर इसके सप्लाई पर पड़ सकता है। इसमें अरहर दाल के उत्पादन में ही करीब 5 लाख टन की कमी की संभावना है, ऐसे में सरकार ने सप्लाई बनाए रखने के लिए अरहर दाल आयात करने का फ़ैसला लिया है।
सरकार का दावा है कि चना, उड़द, मूंग और मसूर जैसी दाल की अन्य क़िस्मों के दाम नियंत्रण में हैं। 2017-18 में दाल का उत्पादन जहां 240 लाख टन हुआ था वहीं 2018-19 में इसका उत्पादन 232 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं अरहर दाल का उत्पादन 40.2 लाख टन से गिरकर 35 लाख टन तक होने की संभावना है। बता दें कि अरहर दाल की क़ीमत 100 रुपए प्रति किलो के पार पहुंच चुकी है।
उधर सरकार ने दालों की कालाबाज़ारी और जमाखोरी के ख़िलाफ़ भी सख्त क़दम उठाने का निर्णय लिया है। खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि सरकार के पास दाल का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है, लेकिन कुछ जमाखोर दालों का कृत्रिम अभाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। पासवान ने कहा कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।