नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को अपनी क्रेडिट पॉलिसी जारी की। इसमें आरबीआई ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की घोषणा की। इस तरह आरबीआई ने लगातार तीसरी बार रेपो रेट में कटौती की है। अब आरबीआई देश के बैंकों को 5.75 प्रतिशत की दर पर कर्ज उपलब्ध कराएगा। रेपो रेट कम होने का सीधा असर आपकी ईएमआई और ब्याज दरों पर भी पड़ेगा। बता दें कि शक्तिकांत दास के आरबीआई के गवर्नर बनने के बाद यह लगातार तीसरी कटौती है।
इससे पूर्व फरवरी और अप्रैल की पॉलिसी में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की गई थी। अब तक तीन पॉलिसी में 0.75 फीसदी की कटौती की जा चुकी है। एनईएफटी और आरटीजीएस से पैसे ट्रांसफर करने पर अब कोई चार्ज नहीं लगेगा। साथ ही रेपो रेट घटने से होम लोन की ईएमआई कम होगी। आरबीआई ने पॉलिसी में रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव किया है। रिवर्स रेपो रेट 0.25 फीसदी घटाकर 5.50 फीसदी कर दिया गया है। हालांकि, सीपीआर में कोई भी बदलाव नहीं किया गया है। सीआरआर को 4 फीसदी पर ही रखा गया है।
खास बात यह है कि आरबीआई ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव किया है।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई से पैसे लेते हैं। आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है। यही रेट रेपो रेट कहलाता है। इसे भारतीय रिजर्व बैंक हर तिमाही के आधार पर तय करता है। फिलहाल चार साल बाद यह बढ़ाया गया है।