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नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के दूसरे कार्यकाल का आग्रह ना करने के फैसले को देश के लिए 'दुखद' बताते हुए कहा कि भारत दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहा है। सेन ने एक निजी टीवी चैनल से कहा, 'हम दुनिया के सबसे दक्ष आर्थिक विचारकों में से एक खो रहे हैं। यह देश के लिए और देश की सरकार के लिए भी दुखद है। आरबीआई एक पूर्ण स्वायत्त संस्थान नहीं है।' सेन ने राजन पर कई मौकों पर हमला करने वाले भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की तरफ साफ इशारा करते हुए कहा, 'मैं समझता हूं, मैंने तो नहीं देखा, लेकिन किसी ने मुझे बताया कि यह सच है कि सत्तारूढ़ दल के कुछ सदस्य रघुराम राजन पर कटाक्ष करते रहे हैं। यह निश्चित तौर पर दुर्भाग्यपूर्ण है।'
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बेंगलुरु: इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का ने कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में रघुराम राजन 'असाधारण' रहे हैं और उनके पास ग्रीन कार्ड होना कोई मुद्दा नहीं होना चाहिए। इंफोसिस के सीईओ और प्रबंध निदेशक विशाल सिक्का ने कहा, 'मैं यहां हूं (इंफोसिस का सीईओ)। मैं अमेरिकी नागरिक हूं। मुझे नहीं लगता कि वह (राजन) अमेरिकी नागरिक हैं, लेकिन मैं अमेरिकी नागरिक हूं। यह ऐसा है कि 'फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी' और यही मायने रखता है।' उन्होंने कहा, 'वह असाधारण गवर्नर रहे हैं और हम उनके जीवन और शिक्षण के लिए शुभकामनाएं देते हैं। मैं यह देखना चाहूंगा कि साथ काम करने का कोई तरीका निकल आए, लेकिन उन्होंने असाधारण काम किया है और हम उन्हें शुभकामनाएं देना चाहते हैं।' यह पूछने पर कि क्या राजन के पास ग्रीन कार्ड का होना कोई मुद्दा है, सिक्का ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। राजन को दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में पूछने पर सिक्का ने कहा, 'अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है। भारत मजबूत है। चीजें चलती रहेंगी। लेकिन उन्होंने वास्तव में बहुत अच्छा काम किया है।' राजन के उत्तराधिकारी के संबंध में सवाल करने पर उन्होंने कहा, 'मुझे कोई जानकारी नहीं है। कई अर्थशास्त्री हैं। लेकिन अंतत: यह सरकार का फैसला है।
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नई दिल्ली: भारत और दक्षिण कोरिया ने निवेश बढ़ाने के लिए एक मंच बनाया है ताकि इस पूर्वी एशियाई देश से आने वाले निवेश को बेहतर सहूलियत प्रदान की जा सके। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण और दक्षिण कोरिया के वाणिज्य मंत्री जू ह्ंयुगवान ने यहां इसका उद्घाटन किया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘यह भारत में कोरियाई निवेश को बढ़ावा देने और सहूलियत प्रदान करने के लिए विशेष पहल है।’ कोरिया प्लस में दक्षिण कारियाई उद्योग, व्यापार एवं ऊर्जा मंत्रालय तथा कोरिया व्यापार निवेश तथा संवर्धन एजेंसी (कोटरा) के सदस्य होंगे। इसके अलावा इसमें इन्वेस्ट इंडिया के तीन अधिकारी शामिल होंगे। बयान में कहा गया, ‘कोरिया प्लस के कामकाज के दायरे में निवेश की पूरी प्रक्रिया शामिल होगी जिनमें पहली बार भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली कोरियाई कंपनियों को मदद करना, भारत में कारोबार करने में कोरियाई कंपनियों को होने वाली दिक्कतों पर नजर रखना और उनकी ओर से भारत सरकार के सामने नीतियों के संबंध में वकालत करना आदि शामिल है।’ बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों के बीच कोरिया प्लस स्थापित करने के लिए जनवरी में समझौता हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मई 2015 में हुई दक्षिण कोरिया की यात्रा के परिणामस्वरूप इस समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।
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हैदराबाद: बोइंग और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) ने बोइंग एएच-64 अपाचे हेलीकॉप्टर के ढांचे व अंतरिक्ष संबंधित अन्य ढाचों के उत्पादन के लिए एक संयंत्र स्थापित करने के लिए हाथ मिलाया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज आदिबाटला शहर के बाहरी हिस्से में स्थित अंतरिक्ष विशेष आर्थिक क्षेत्र(सेज) में टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड (टीबीएएल) की आधारशीला रखी। इस संयंत्र में अंतरिक्ष में एकीकृत प्रणाली पर भी काम होगा। हैदराबाद का यह संयंत्र एएच-64 का ढांचा तैयार करनेवाला दुनिया का अकेला संयंत्र होगा। एच-64 दुनिया का सबसे उन्नत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है और अमेरिकी सेनाओं सहित कई अन्य देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल करती हैं, जिसमें भारत भी शामिल है। पर्रिकर ने इस संयुक्त उद्यम को रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा विदेशी निवेश करार दिया है और कहा है कि यह सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा देनेवाला है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में इस प्रकार के निवेश को और बढ़ावा मिलेगा। बोइंग और टीएएसएल के बीच पिछले साथ अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र के निर्माण को लेकर साझेदारी स्थापित करने पर सहमति बनी थी, जिसमें मानव रहित विमानों का निर्माण भी शामिल है। टीएएसएल टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है और इसे बोइंग के सीएच-47 चिनूक और एएच-6आई हेलीकॉप्टर के ढांचे के निर्माण का ठेका मिला है।
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